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कोरोना का कहर: मृत्यु दर के मामले में 9वें स्थान पर पहुंचा नोएडा, एक दिन में इतने लोगों की मौत ये था मामला दरअसल, बरेली के रहने वाले 64 वर्षीय संतोष कुमार एमईएस से सेवानिवृत्त हैं। वह
गाजियाबाद के राजनगर एक्टेंशन में अपनी बेटी शिखा और दामाद अंकित के साथ रहते हैं। शिखा ने बताया कि 21 अप्रैल को बाथरूम में गिर जाने के कारण उन्हें चोट लग गई थी। वह उन्हें गाजियाबाद के अस्पताल में ले गए तो वहां पर उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इसके बाद अस्पताल से उनको कोविड अस्पताल ले जाने को कह दिया गया। गाजियाबाद में जगह नहीं मिलने के कारण बेटी ने उनको गत 21 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज कोविड वार्ड में भर्ती कराया और उनका हाल जानने के लिए कोविड सेंटर का नंबर ले लिया। तीन मई तक कर्मचारी हाल बताते रहे। तीन मई को बताया कि संतोष कुमार को आईसीटू वार्ड में रखा गया है। उनका ऑक्सीजन स्तर 92 है। इसके बाद परिजनों ने कोविड सेंटर से अपडेट पूछा तो सही जवाब नहीं दिया गया। कुछ देर में बात कीजिए, कहकर फोन काट दिया गया।
मरीज के भागने की बात कहकर कोविड प्रभारी ने झाड़ा पल्ला इसके बाद कई दिन से कोई अपडेट नहीं मिला तो थक-हारकर परिजन बीते शुक्रवार को
मेरठ आ गए। कोविड वार्ड प्रभारी धीरज बालियान को पूरी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने मरीज के भाग जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। वार्ड में संतोष कुमार को उनकी बेटी ने तलाशा, लेकिन वे नहीं मिले। परिजनों ने डीएम, एडीएम से शिकायत की है। शिखा ने अपना वीडियो मुख्यमंत्री को भेजकर पिता को बरामद कराने की मांग की।
…और अज्ञात में कर दिया अंतिम संस्कार इसी बीच शिखा को पता चला कि उनके पिता की बीती 23 अप्रैल की सुबह मौत हो गई थी। मोर्चरी में शव तीन दिनों तक रखा गया। किसी परिजन के न आने पर अज्ञात के रूप में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस बारे में मेरठ कालेज प्राचार्य डाॅ. ज्ञानेंद्र का कहना है कि इसके लिए जांच कमेटी बनाकर ड्यूटी पर तैनात स्टाफ की लापरवाही की जांच की जाएगी, जो भी इसमें दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।