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मुन्ना बजरंगी ही नहीं वेस्ट यूपी की जेलों में बंद बदमाशों की पहले भी हो चुकी हैं हत्याएं

locationमेरठPublished: Jul 09, 2018 03:46:56 pm

Submitted by:

virendra sharma

सुरक्षित नहीं वेस्ट यूपी की जेलों में बंद कैदी
 

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मुन्ना बजरंगी ही नहीं वेस्ट यूपी की जेलों में बंद बदमाशों की पहले भी हो चुकी हैं हत्याएं

मेरठ/ केपी त्रिपाठी. बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई है। मुन्ना बजरंगी को पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित को रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के लिए झांसी से बागपत जेल में पेशी के लिए लाया गया था। जेल में हुई हत्या के मामले में योगी सरकार ने कड़ा एक्शन लिया है। शासन ने जेल में हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में जेलर, डिप्टी जेलर समेत 5 को निलबिंत कर दिया गया है। इसके अलावा न्यायिक जांच के निर्देश भी शासन ने दिए है। जेल में हत्या की यह पहली घटना नहीं है। पहले भी जेल में हत्या के मामले सामने आ चुके है।
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बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या समेत मुन्ना बजरंगी पर करीब 40 मुकदमे विभिन्न थानों में दर्ज है। मुन्ना बजरंगी को 8 जुलाई को झांसी से बागपत जेल में लाया गया था। यहां 9 जुलाई को मुन्ना बजरंगी पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी गई। घटना में मुन्ना की मौत हो गई। मौत के बाद में दिल्ली से लेकर लखनउ तक हड़कंप मच गया है। सवाल यह है कि आखिर जेल में हत्या कैसे हुई। शासन ने पूरे मामले में जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। जेल में हत्या का यह पहला मामला नहीं है। वेस्ट यूपी में पहले भी हत्या व सदिग्ध परिस्थितियों में कैदियों की मौत के मामले सामने आते रहे है। दरअसल में वेस्ट यूपी भी वेस्ट यूपी पहले से ही कुख्यात बदमाशों का गढ़ रहा है। यहां सुंदर भाटी गैंग, नरेश भाटी गैंग, अनिल दुजाना, योगेश भदौडा, बलराम ठाकूर जैसे कुख्यात बदमाशों सिर उठाया है।
संदिग्ध हत्याओं के लिए बदनाम डासना जेल

जेलों के अंदर खूनी गैंगवार या संदिग्ध मौते की बात करें तो गाजियाबाद डासना की जेल में कई हाई प्रोफाइल मामलों सामने आ चुके है। मेरठ यूनिवर्सिटी की लेक्चरार कविता चैधरी मर्डर केस के आरोपी रविंद्र प्रधान (30 मई, 2008), फ्रंरटियर मेल में बस विस्फोट के आरोपी शकील अहमद (19 जून, 2009) और नजारत घोटाले के आरोपी आशुतोष अस्थाना (17 अक्टूबर, 2009) की मौतें जेल के अंदर संदिग्ध परिस्थितियों में हो चुकी है। जिनकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझ सकी।

मुजफ्फरनगर जेल में हो चुकी दो हत्याएं
मुजफ्फरनगर जेल भी गैंगवार के लिए बदनाम रही है। जून 2011 को जेल में बंद दो गैंग के बीच कट्टे से गोली चलाने पर हड़कंप मच गया था। हालांकि इस गोलीबारी में एक कैदी को गोली लगी थी। लेकिन उस दौर में इस पूरी घटना को जेल प्रशासन ने छुपा लिया था। इसी तरह जुलाई 2016 में मुजफ्फरनगर जिला करागार में उम्रकैद की सजा काट रहे चंद्रहास नामक कैदी की उसके साथी कैदियों ने चाकू घोपकर हत्या कर दी थी।

मथुरा जेल में हो चुकी गैंगवार
मथुरा की जेल में 2015 में गैंगवार हो चुकी है। जिसमें पश्चिम उप्र और राजस्थान के कुख्यात राजेश टोटा की मौत हो चुकी है। जनवरी 2015 में उत्तर प्रदेश की मथुरा की जिला जेल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात ब्रजेश मावी और राजेश टोटा गैंग के बीच हुए गैंगवार ने प्रदेश की जेलों में कैदियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा किया था। गैंगवार में एक कैदी अक्षय सोलंकी को जेल में ही गोलियों से भून दिया गया। जबकि राजेश टोटा को गोली लगने के बाद घायल अवस्था में आगरा ले जा रही पुलिस एंबुलेस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर राजेश टोटा को मौत के घाट उतार दिया था।
सहारनपुर जेल भी नहीं सुरक्षित
अगस्त 2016 में सहारनपुर जिला जेल में बंद कुख्यात सुक्खा की गला रेतकर हत्या कर दी थी। उसके साथ में सो रहे बंदी शाहनवाज उर्फ प्लास्टिक ने इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। सुक्खा भी मुजफ्फरनगर का इनामी बदमाश था और उसकी भी अपने क्षेत्र में गैंगवार चल रही थी।

बुलंदशहर जेल अतिसंवेदनशील जेलों में शुमार
प्रदेश के बुलंदशहर जिले की जेल अतिसंवेदनशील जेलों में शुमार हैं। जिसमें कई शातिर और कुख्यात बंदी इस जेल में बंद हैं। अक्सर उत्पात मचाने वाले कुख्यात बंदी जेल प्रशासन व पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बने रहते हैं। पूर्व में प्रधान बंदी रक्षक समेत दो बंदी रक्षकों की हत्या की जा चुकी है।

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