
मेरठ। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) 29 सितंबर से आरंभ हो चुके हैं। इन नौ दिनाें में भक्त नौ देवियों की पूजा आराधना करते हैं। अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन के बाद नवरात्र के व्रत को खोला जाता है। इस बार अष्टमी (Ashtami) 6 अक्टूबर और नवमी (Mahanavmi) 7 अक्टूबर को है।
यह कहा ज्योतिष ने
शिवनेत्र अस्ट्रोलाॅजी के ज्योतिष सुकुल शर्मा का कहना है कि अगर अष्टमी और नवमी पर राशि के अनुसार मां की पूजा करेंगे तो मनवांछित फल मिलेगा। उन्होंने कहा कि मां दुर्गा के नौ रूपों के चित्र अपने मंदिर में रखें। सुबह नहाकर साफ वस्त्र पहनें और अपने मंत्र का पांच बार जाप करें।
मेष: मां को लाल चुनरी, चूड़ियां और सिंदूर अर्पित करें।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥
वृषभ: मां ब्रह्माचारिणी को सफेद मिठाई और 5 अलग-अलग फल चढ़ाएं।
इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा
मिथुन: मां चंद्रघंटा को नारियल और करे वस्त्र अर्पित करें।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
कर्क: मां ब्रहमचारिणी को गोले की मिठाई और दूध के साथ दक्षिणा चढ़ाएं।
इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा
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सिंह: मां कात्यायनी को पंचामृत और लाल वस्त्र अर्पित करें।
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहनो। कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि॥
कन्या: इन राशि के लोग मां कालरात्रि को 5 लौंग, 5 हरी इलायची और पांच अलग-अलग फल चढ़ाएं।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
तुला: मां सिद्धिदात्रि को एक चांदी का सिक्का और सिंदूर चढ़ाएं।
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
वृष्चिक: मां महागौरी को आम के पत्ते, 5 पीले फूल और कपूर चढ़ाएं।
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
धनु: मां कूष्मांडा को चार मुखी दीपक से आरती करें और 5 कन्याओं को दक्षिणा दें।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे॥
मकर: मां स्कंद माता को 5 जायफल, 5 सुपारी, मिश्री, अनार और 5 मुखी रुद्राक्ष चढ़ाएं।
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
कुंभ: मां कालरात्रि को पीले वस्त्र, तुलसी के 5 पत्ते और गुलाब के फूल चढ़ाएं।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
मीन: मां कूष्मांडा को चंदन और तुलसी की माला चढ़ाएं।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे॥
Published on:
06 Oct 2019 04:30 am
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