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Meerut Nikay Chunav: 90 साल की उम्र में बुजुर्गों ने किया ऐसा काम, युवाओं को दे गई सीख

Meerut Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में मतदान को लेकर जितना उत्साह 80 पार के बुजुर्गों में दिखा, उतना युवाओं में नहीं रहा। वोट डालने में विकलांग भी पीछे नहीं रहे।

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मेरठ

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Kamta Tripathi

May 12, 2023

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Meerut Nikay Chunav: निर्वाचन आयोग और प्रशासन की तरफ से मतदान को लेकर जागरूकता अभियान चलाए गए। लगातार मतदाताओं से अपील की जाती रही।

लेकिन इसके बाद भी मतदाताओं ने वोट डालने में कंजूसी बरती। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी 80 पार के बुजुर्गों ने मतदान में खूब उत्साह दिखाया। जबकि युवा मतदाताओं ने सुस्ती दिखाई।

जिस उम्र में बुजुर्गों को आराम करना चाहिए उस उम्र में वो अपने मतदान पहचान पत्र के साथ वोट देने के लिए लाइन में लगे हुए थे। उत्साह और मतदान के प्रति लगन में उन्होंने उम्र को भी मात दे दी।

बुजुर्ग और विकलांगों में मतदान करने के प्रति लगन और उत्साह खूब दिखा। लोकतंत्र के प्रति आस्था का इस बड़े पर्व में वो उन लोगों के लिए उदाहरण बने जो वोट का महत्व नहीं समझते हैं। विकलांगों और बुजुर्गों ने मतदान का महत्व समझते हुए अपने मत का खूब उपयोग किया।

मतदान करेंगे तभी विकास के लिए सवाल कर सकेंगे
मेरठ के कस्बा लावड़ में 95 साल की महिला कुलसुम वोट डालने बूथ पर पहुँचीं। वहीं 93 साल की सरवरी पत्नी पूरू ने कंकरखेड़ा एक पब्लिक स्कूल में बने मतदान केंद्र संख्या 31 में वोट डाला।

राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में 91 साल की अकबरी ने मतदान किया। मेरठ में 90 वर्षीय सुधा गुप्ता और 87 वर्षीय लीला देवी ने वोट डाला। किठौर कार्यालय में वोट डालने पहुचीं 92 साल की मकबुलन और सरधना में 75 साल की अनीशा ने मतदान किया।

मेरठ में आर्य कन्या इंटर कालेज में नगर निगम चुनाव मतदान कर 90वर्षीय जयन्ती प्रसाद ने मतदान किया। जयंती प्रसाद ने कहा बेटा मतदान आवश्यक है। जब पूरी व्यवस्था ही चुनावी प्रक्रिया के तहत है तो मतदान बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। मतदान नहीं करेंगे तो सवाल कैसे करेंगे।

हर्रा में बीमारी से जूझ रही अकबरी ने 95 साल की उम्र में मतदान किया। वह अपने आप चल फिर नहीं सकती, लेकिन इसके बाद भी उनमें वोट देने को लेकर जोश दिखाई दिया।

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उन्होंने अपने परिजनेां के साथ मतदान के लिए इच्छा जताई। पहले लोगों ने कहा कि शरीर की स्थिति ऐसी नहीं है कि मतदान करने जा सके। लेकिन उन्होंने कहा कि अगर मेरे साथ कोई चले तो मैं मतदान करने जा सकती हूं।

अकबरी की जिद जीत गई। उनका बेटा उनको अपने साथ ले गया और वोट डलवा कर आया। इसी तरह से मेरठ के अन्य मतदान केंद्रों में भी बुजुर्ग और विकलांगों ने वोट डाले।