16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एक जून से शुरू हो रही दस दिन की यह अनोखी हड़ताल, जानिए इससे क्या-क्या होगा प्रभावित

एेसी हड़ताल न तो सुनी होगी आैर न कभी देखी होगी

2 min read
Google source verification
meerut

एक जून से शुरू हो रही दस दिन की यह अनोखी हड़ताल, जानिए इससे क्या-क्या होगा प्रभावित

मेरठ। आने वाली एक जून से देश के करीब 12 राज्यों के किसान दस दिन की हड़ताल पर रहेंगे। किसानों की यह हड़ताल भी अनोखी है। किसान अपनी इस हड़ताल में न तो गांव से बाहर निकलेंगे और न ही शहरों को गांव से कोई आम जरूरत की चीजें सप्लाई करेंगे। किसानों की यह हड़ताल उप्र के अलावा दिल्ली, मप्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आध्र प्रदेश, उत्तराचंल, हिमाचल आदि राज्यों में होगी। किसानों की यह अनोखी हड़ताल की तैयारी तो करीब एक माह पहले ही शुरू हो गई थी।

यह भी पढ़ेंः उपचुनाव LIVE: इस वजह से हो सकता है कम मतदान, इस पार्टी को होगा फायदा

हड़ताल की जानकारी देने के लिए हार्इटेक तकनीक

किसानों को इस हड़ताल की जानकारी देने के लिए भी हाईटेक तकनीक अपनाई जा रही है। किसान एकता मंच के आहवान पर आयोजित इस किसान हड़ताल से अब तक किसानों की करीब सौ से अधिक यूनियन जुड़ चुकी हैं। इसके अलावा कई अन्य संगठन भी किसानों की हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र की डिब्बा यूनियन, पश्चिम बंगाल की फिशर मैन यूनियन, हिमाचल की फूड एंड वैजिटेरियन यूनियन ने भी किसानों की इस हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है। किसान एकता मंच के देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि किसानों की तीन मांगों को लेकर ये आंदोलन किया जा रहा है। जिसमें पहली है किसानों की सुनिश्चित आय, फसल का मूल्य किसान को तय करने का अधिकार, किसानों की सम्पूर्ण कर्ज माफी, फसलों के वाजिब दाम आदि।

यह भी पढ़ेंः उपचुनाव LIVE: भाजपा को हराने के लिए ये दुश्मन हो गए एक

आंदोलन के दौरान किसान करेंगे यह

इस आंदोलन के तहत किसान न तो अपना उत्पादन शहर में बेचेगा और न ही शहर में जाकर कोई खरीदारी करेगा। आंदोलन को अमलीजामा पहनाने के लिए किसान संगठन गांवों में जाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं। इसके अलावा किसानों के वाट्सअप ग्रुपों में भी रागनी के माध्यम से हड़ताल के बारे में जानकारी दी जा रही है। गांव से किसान का अनाज, सब्जी व दूध दस दिन तक शहर में बिक्री के लिए नहीं जाएगा। उनका कहना है कि सरकार व किसानों के बीच खाई बढ़ती जा रही है। किसानों के बारे में कोई सरकार नहीं सोच रही है। किसान मर रहा है आत्महत्या कर रहा है। सरकार की बनाई पाॅलिसी ने किसानों की कमर तोड़ दी है।

यह भी पढ़ेंः कैराना उपचुनाव रालोद के लिए संजीवनी से कम नहीं, कर ली है एेसी तैयारी