
मेरठ। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (PM Narendra Modi) 16 देशों के प्रतिनिधियों के साथ बैंकाक में आरसीईपी (The Regional Comprehensive Economic Partnership) संधि करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का दावा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इस संधि का विरोध कर रहे किसानों ने अब उग्र रूप धारण कर लिया है। मंगलवार को इस मामले में राष्ट्रीय लोक दल के बैनर तले किसानों ने कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। साथ ही राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने आरसीईपी संधि की प्रतियां फूंकते हुए अपना विरोध प्रकट किया। किसानों ने यह संधि किए जाने पर देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।
रालोद के जिलाध्यक्ष राहुल देव के साथ सैकड़ों किसान आज जिला मुख्यालय पहुंचे। किसानों ने कलेक्ट्रेट में धरना देते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। राहुल देव ने आरोप लगाया कि इस संधि को करके देश के प्रधानमंत्री किसानों को बर्बाद करने का काम कर रहे हैं। यदि विदेशों से दूध और अन्य वस्तुएं सस्ती दरों पर आयात की जाएंगी तो देश में टैक्स भरकर इन वस्तुओं का उत्पादन कर रहे किसान और मजदूर सड़क पर आ जाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपने इस निर्णय से पीछे नहीं हटी तो किसान सड़क से संसद तक उग्र आंदोलन चलाएंगे।
वहीं, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के बैनर तले दर्जनों सदस्यों ने जिला मुख्यालय में आरसीईपी समझौते की प्रतियां जलाते हुए अपना विरोध प्रकट किया। भारतीय किसान आंदोलन के पदाधिकारी कुलदीप कुमार त्यागी ने कहा कि विदेशों में किसानों को खेती पर भारी छूट दी जाती है, जिसके चलते उनकी फसलों का उत्पादन काफी सस्ती दरों पर होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में पहले से ही किसान भारी टैक्स देकर खेती कर रहे हैं। उसके बावजूद विदेशों से अन्न और दूध आयात करके देश की सरकार किसानों को खुदकुशी पर मजबूर करने का काम कर रही है। संगठन के सदस्यों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध करते हुए आरसीईपी संधि की प्रतियां फूंकी।
Published on:
05 Nov 2019 12:37 pm
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