
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्विविद्यालय के सभागार में गीता ज्ञान महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें अलग-अलग शहरों से आए गीता मनीषियों और प्रचारकों ने भाग लिया। गीता ज्ञान महोत्सव की अध्यक्षता अजय गुप्ता ने की। इसका संचालन हिंदू स्वाभिमान की राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवशक्ति धाम डासना की महंत यति मां चेतनानन्द सरस्वती ने किया।
उन्होने कहा कि अन्याय और अत्याचार की अति का परिणाम महाभारत है और महाभारत का आरंभ गीता है। युद्धभूमि में अवतरित हुआ यह अतुलनीय ग्रंथ अपने आप में मानव जीवन के आध्यात्म और मनोविज्ञान का अनुपम ग्रंथ है। जिसे स्वयं परमात्मा ने अपनी वाणी से मानव को दिया है। गीता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि गीता किसी भी व्यक्ति का उसके जीवन की किसी भी स्थिति में मार्गदर्शन करने में सक्षम है। हमें यह समझ लेना चाहिए कि कोई व्यक्ति या राष्ट्र तभी प्रगति और विजय को प्राप्त कर सकता है जब उसकी नीति सही हो। यदि नीति सही नहीं है तो विजय बहुत मुश्किल है। गीता बहुत सरल और व्यवहारिक ग्रंथ है। जिसे समझने के लिए श्रद्धा और विश्वास के अलावा और किसी भी चीज की आवश्यक्ता नहीं है। हम सनातन धर्मियों का दुर्भाग्य है कि हम संपूर्ण विश्व में गीता का सही प्रचार प्रसार करने में असफल सिद्ध हुए हैं। वरना धर्म के और आस्था के नाम पर अशांति होती ही नहीं।
इस दौरान अयोध्या से आए जगदगुरू परमहंसाचार्ज महाराज, महामंडलेश्वर शिवानी दुर्गा, महामंडलेश्वर नीलिमानन्द , आर्य विदुषी आयुषी राणा ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान महंत यति मां चेतनानन्द सरस्वती ने कहा कि हिंदू के ज्ञान का सागर है गीता। आज गीता को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। अगर गीता पढ़ ली जाए तो जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाएगा।
Published on:
29 Dec 2019 07:18 pm
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