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वेस्ट यूपी में उच्च शिक्षा हासिल करने में भी लड़कियां अव्व्ल, इन वजहों से लड़कों को बना दिया फिसड्डी

वेस्ट यूपी में लड़कियाें की शिक्षा को लेकर जागरूक अभिभावक  

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वेस्ट यूपी में उच्च शिक्षा हासिल करने में भी लड़कियां अव्व्ल, इन वजहों से लड़कों को बना दिया फिसड्डी

मेरठ। हाल के वर्षों में हर साल सीबीएसर्इ, आर्इसीएसर्इ आैर यूपी बोर्ड का परिणाम घोषित होने के बाद वेस्ट यूपी में एक सामान्य तथ्य देखने को मिलता है, वह है लड़कियों ने फिर बाजी मारी आैर लड़कों को पीछे छोड़ दिया। अब यह सिर्फ हार्इस्कूल आैर इंटरमीडिएट तक की कक्षाआें तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कुछ एेसी ही स्थिति उच्च शिक्षा हासिल करने में दिख रही है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के अंतर्गत मेरठ व सहारनपुर मंडल के नौ जिलों के कालेजों में प्रवेश चल रहे हैं। अभी आेपन लिस्ट के प्रवेश होने के बाकी हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने का जो क्रेज वेस्ट यूपी की लड़कियाें में दिखा है, इसमें भी लड़के बेहद फिसड्डी साबित हो रहे हैं। इन जिलों में स्नातक में प्रवेश के लिए 1,32,894 सीटों में से कुल 59,580 ने दाखिला लिया है। इनमे 35,849 छात्राएं और 23,730 छात्र हैं। इनमें छात्राआें की प्रतिशतता करीब 61 फीसदी है।

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दाखिले में लड़कों को एेसे पीछे छोड़ा

कालेजों में दाखिला लेने के लिए कालेजों में छात्राआें की ज्यादा संख्या दिखार्इ दी है। कट लिस्ट जारी होने के बाद ज्यादा परसेंटेज होने के कारण लड़कियाें ने यहां भी लड़कों को पीछे छोड़ दिया। बीएससी बायो में 12,750 सीटों पर हुए 5,609 दाखिलों में से 4,002 लड़कियों के हैं। इनमें लड़कियों की प्रतिशतता 71.34 फीसदी है। बीए में भी तकरीबन यही स्थिति है। 74,461 सीटों पर 33,956 दाखिलों में से 22,289 छात्राआें के हैं, यह प्रतिशतता भी करीब 66 फीसदी है। बीकाॅम में अभी तक 11,489 दाखिलों में से 6,346 छात्राआें के हैं। मतलब, लड़कों के प्रभुत्व वाले विषयों में भी लड़कियां लड़कों से आगे निकल गर्इ हैं। एमए, एमएससी व एमकाॅम कक्षाआें में प्रवेश में अभी तक हुए 5701 दाखिलों में से 4,350 लड़कियों के हैं।

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वेस्ट यूपी की लड़कियाें में आया बदलाव

वेस्ट यूपी में पिछले दस वर्षों में लड़कियों की शिक्षा में यह बदलाव आया है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप उज्जवल का कहना है कि पिछले दस साल में लड़कियों को पढ़ार्इ में बहुत अंतर देखने को मिला है। उनमें हिम्मत, आत्मविश्वास आैर जिन्दगी में कुछ बनने की सोच बनी है। अब वे सिर्फ शादी के लिए नहीं पढ़ती हैं बल्कि नौकरी करके अपने परिवार की आय में सहयोग करना चाहती है आैर अपने घर से बाहर पढ़ने आैर नौकरी करने में भी नहीं हिचकती। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विमेंस स्टडीज विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. तरुशिखा सर्वेश ने वेस्ट यूपी के सामाजिक ढांचे, खासकर खाप पंचायतों की संरचना और कार्यप्रणाली पर काफी शोध किया है। उनका कहना है कि वेस्ट यूपी में यह जागरूरता सदैव रही है। भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत कहते थे जाटों के लड़के दुकान लगाने लायक नहीं रह जायेंगे और लड़कियां आगे बढ़ेंगी। लड़के न तो ठीक से पढ़ रहे हैं न ही खेती कर पा रहे हैं। अब लोग गर्व से बताते हैं कि हमारी लड़कियां डॉक्टर, इंजिनियर बन रही हैं।

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लड़कों के विषयों में आगे लड़कियां

पूर्व छात्र संघ कुलदीप उज्जवल का कहना है कि पहले कॉमर्स ज्यादातर लड़के ही पढ़ते थे और थोड़ी सी लड़कियां होती थीं. आज लड़कियों की संख्या लडकों से ज्यादा हैं. इस बदलाव के पीछे एक कारण और निकल कर आया है, वह है खुद वाहन चलाने की पहल। बड़ौत में दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज में इंग्लिश की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अंशु का कहना है कि अब हर लड़की खुद सेल्फ डिपेंड होना चाहती हैं, नौकरी की सबको चाहत है। वह नहीं चाहती कि वे अब ज़िन्दगी भर अपने पति के नाम से जानी जाये। पहले डर रहता था, छेड़खानी का, बदतमीजी का. अब वो इतनी जागरूक हैं कि खुद डायल 100 पर फोन कर देती हैं, अब वे कोई बात नहीं छुपाती बल्कि डिस्कस करती हैं। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत प्रवक्ता का कहना है कि खाप पंचायतों ने हमेशा लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया।