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जानिए, डॉ गोपाल दास नीरज के बारे में, जिन्हें आज भी बॉलीवुड में किया जाता है याद

Highlights: -दूसरी पुण्य तिथि पर याद किए गए गोपाल दास -कई बार फिल्म फेयर से किए गए थे सम्मानित -मेरठ से गोपाल दास का था गहरा रिश्ता

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मेरठ

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Rahul Chauhan

Jul 19, 2020

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मेरठ। डॉ. गोपाल दास नीरज पश्चिम उत्तर प्रदेश की भूमि और मेरठ से जुड़ा ऐसा नाम है जो आज एक इतिहास बन चुका है। गीत और कविता के पुरोधा गोपाल दास नीरज की 19 जुलाई को दूसरी पुण्य तिथि है। जितना नाता गोपाल दास नीरज का अपनी कर्मभूमि अलीगढ़ से रहा। उससे अधिक वे मेरठ जिले से भी जुड़े रहे। नीरज का जन्म भले ही इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था। लेकिन उन्होंने अपनी अधिकांश शिक्षा मेरठ ग्रहण की।

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इसके बाद मेरठ कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय अध्यापन कार्य करने के बाद यहां डीएस कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हो गए। इसके बाद वे मैरिस रोड जनकपुरी अलीगढ़ में स्थायी आवास बनाकर रहने लगे। 1966 में मुंबई के फिल्म जगत से गीतकार के रूप में फिल्म नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमंत्रण मिला। मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी चर्चित फिल्मों में कई लोकप्रिय गीत लिखे। सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए 1970, 1971 व 1972 में लगातार फिल्म फेयर अवार्ड मिले। नीरज ने यशभारती, विश्व उर्दू परिषद पुरस्कार, पद्मश्री, पद्मभूषण जैसे सम्मान हासिल किए। 2015 में 21 लाख रुपये का प्रतिष्ठित साहित्य शिरोमणि सम्मान भी मिला। 19 जुलाई 2018 को नीरज का निधन हो गया।

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करीब 30 साल नीरज के साथ मंच सांझा करने वालीं प्रसिद्ध कवि हरिओम पंवार ने ए नीरज को यूं याद किया-'कहां रूपोश हो गए नीरज। फिर न जागे कि सो गए नीरज। प्यासी नजरें तुम्हें तलाश करें, तुम कहां जाके खो गए नीरज।नीरज के पुत्र मिलन प्रभात गुंजन व पुत्रवधु पत्नी रंजना ने संयुक्त रूप से उनके फिल्म जगत से जुड़े संस्मरण सुनाए।

उन्होंने बताया कि मशहूर अभिनेता देवानंद प्रेम पुजारी बना रहे थे। चाहते थे कि पिताजी इस फिल्म के गीत लिखें। यह इच्छा उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रकट भी की। पिताजी को पता चला तो उन्होंने खुद देवानंद को पत्र लिख दिया कि आप जो फिल्म बना रहे हैं, उसके गीत लिखना चाहता हूं। फिल्म आई और रंगीला रे समेत सभी गीत सुपरहिट रहे। गुंजन ने बताया कि नीरज को आम बहुंत पसंद थे, मगर अंतिम समय में उनकी इच्छी पूरी नहीं कर पाए। इतने बड़े कवि और गीतकार होने के बाद भी वे सीधे व सरल थे। जो उनसे मिलने आया निराश नहीं हुआ। व्यक्तित्व में फक्कड़-पन व भोलापन था।