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मेरठ

क्या आपका बेटा भी है इंटरनेट एडिक्शन का शिकार तो लीजिए साइकोलॅाग्स की मदद

इंटरनेट से जुड़ी लत मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चिंता बन रही है। 3 साल के बच्चे से लेकर बड़े तक इंटरनेट एडिक्शन डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं। मेरठ में अब लोग मानसिक चिकित्सक से संपर्क कर रहे हैं जिस पर उनको साइकोलॉग्स मैग्जीन पढ़ने की सलाह दी जा रही है।

मेरठNov 20, 2022 / 09:54 am

Kamta Tripathi

क्या आपका बेटा भी है इंटरनेट एडिक्शन का शिकार तो लीजिए साइकोलॅाग्स की मदद

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से इंटरनेट के लती हो रहे बच्चे

जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है कि असामान्य व्यवहार या असामान्य भावनाओं का मुख्य कारण इंटरनेट है। ऐसे में साइकोलॉग्स इंटरनेट एडिक्शन के शिकार लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।
इंटरनेट की लत कर रही परेशान
मीडिया के अन्य माध्यम भी हैं जिनसे व्यक्ति आदी हो सकता है, जैसे टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र, आदि, लेकिन इक्कीसवी सदी में, इंटरनेट का प्रसार बहुत तेजी से बढ़ा है और मीडिया में एक केंद्रीय माध्यम के रूप में जगह ले लिया है। इंटरनेट से जुड़ा लत ऐसा ही काम करता है। कोई इंटरनेट एडिक्शन से ग्रसित है या नहीं समझने के लिए खुद से कुछ प्रश्न पूछना आवश्यक है क्या आप दिन का अधिकांश समय वीडियो गेम खेलने में व्यतीत करते हैं? क्या आप पाते हैं कि आपके जीवन के अन्य पहलू (जैसे रिश्ते, परिवार, दोस्त, काम आदि) सोशल मीडिया से जुड़े होने के कारण आपसे दूर होते जा रहे हैं? ऐसे प्रश्न का उत्तर हां में देना इंगित करता है कि यह मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करने का समय है।

साइकोलॉग्स ने शुरू किया जागरूकता अभियान
प्रख्यात मनोवैज्ञानिक गोपा भारद्वाज ने बताया कि साइकोलॉग्स पत्रिका (Psychologs Magazine) ने देश के प्रख्यात मनोवैज्ञानिकों द्वारा लेख प्रकाशित कर इंटरनेट से संबंधित एडिक्शन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अभियान शुरू किया था। पिछले 3 दिनों में इस मुद्दे पर देश के लगभग 20 मनोवैज्ञानिकों ने अपनी चिंता व्यक्त की और उन्होंने साइकोलॉग्स द्वारा आयोजित “इंटरनेट: मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक नई चुनौती” नामक एक कार्यक्रम में इस मुद्दे की गंभीरता और समाधान के बारे में बात की।
बच्चे खासकर किशोर अधिक प्रभावित हो रहे
गोपा भारद्वाज जो दिल्ली विश्वविद्यालय कि पूर्व डीन और मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख रह चुकी है ने बताया कि बच्चे खासकर किशोर ज्यादा प्रभावित हो रहे है लेकिन वयस्कों में भी ये समस्या बढ़ती जा रही है। इंटरनेट की लत के कई भावनात्मक संकेत भी हैं, जैसे, दोषी महसूस करना, चिंतित और/या उदास महसूस करना, अलग या अकेला महसूस करना, जिम्मेदारियों को टालना, उत्तेजित महसूस करना और इंटरनेट का उपयोग करते समय उत्साह महसूस करना, ऑनलाइन होने पर समय का ध्यान न रहना, सामान्य दिनचर्या से ऊब महसूस करना।

कोविड महामारी के बाद समस्या काफी बढ़ी
उदय सिन्हा जो इहबास,दिल्ली के विभागाध्यक्ष है ने कहा कि इंटरनेट सम्बन्धित एडिक्शन को गंभीरता के साथ लेने का समय है, कोविड महामारी के समय दिनचर्या में आये अचानक बदलाव से इस तरह की समस्या काफी बढ़ी है। मेन्टल हेल्थ एक्टिविस्ट और मैगज़ीन के एडिटर इन चीफ अरविन्द ओत्ता ने बताया कि समस्या जितनी गंभीर दिख रही है ये उससे ज्यादा गंभीर है। अभिभावकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योकि किशोरों को ये ज्यादा प्रभावित कर रही है। अगर किशोरों के व्यवहार में कोई नकारात्मक बदलाव दिखे तो, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के संपर्क करना चाहिए।
क्या आपका बेटा भी है इंटरनेट एडिक्शन का शिकार तो लीजिए साइकोलॅाग्स की मदद
इंटरनेट पर बीत रहा अधिकांश समय
इंटरनेट से संबंधित लत के विभिन्न रूप हैं। मनोवैज्ञानिकों ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में उल्लेख किया है कि ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण लोग ऑनलाइन विभिन्न वेबसाइट पर जाते हैं लेकिन जब हम इंटरनेट की लत के बारे में बात करते हैं तो इंटरनेट प्रयोग करने के कुछ मुख्य कारण होते हैं। कुछ लोग रिश्तों या दोस्ती को बनाए रखने के लिए अपना अधिकांश समय इंटरनेट पर बिताते हैं, वे आमतौर पर अपने आसपास के वास्तविक लोगों के साथ समय बिताए बिना “काल्पनिक सम्बन्ध” बनाने के लिए बहुत लम्बा समय इंटरनेट पर व्यतीत करते है। बहुत से लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर गेम खेलने या अपने गेम में कुछ अंक प्राप्त करने या ऑनलाइन गेमिंग में एक लेवल ऊपर जाने की तीव्र इच्छा महसूस करते हैं।

साइकोलॉजिस्ट कर रहे पहल की सराहना
जाने-माने क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और निमहंस के पूर्व एचओडी, सीआर मुकुंदन ने साइकोलॉग्स मैगज़ीन द्वारा की गई इस पहल की सराहना की और उल्लेख किया कि कई मनोवैज्ञानिक लक्षणों के साथ-साथ इंटरनेट की लत के कई शारीरिक लक्षण हैं, जैसे सिरदर्द का अनुभव करना, अनिद्रा का अनुभव करना, गर्दन और पीठ दर्द का अनुभव करना, दृष्टि या दृष्टि संबंधी समस्याओं का सामना करना और वजन बढ़ना।
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