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VIDEO: इतिहासकारों ने शहीद धन सिंह कोतवाल को लेकर युवा पीढ़ी से किया ये आह्वान

देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम दिवस के मौके पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि 1857 में थाना सदर बाजार के प्रभारी थे धन सिंह कोतवाल

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इतिहासकारों ने युवा पीढ़ी से शहीद धन सिंह कोतवाल को लेकर किया ये आह्वान

मेरठ। देश का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मेरठ में शुरू हुआ था। इस दिन को क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रांति दिवस के मौके पर शहर में कर्इ आयोजन किए गए आैर शहीदों को नमन किया गया। इतिहासकारों ने शहीद धन सिंह कोतवाल पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शहीद धन सिंह कोतवाल को इतिहास में भुलाने का प्रयास किया गया। ब्रिटिश लेखक मेजर विलियम ने माना था कि 1857 की क्रांति धन सिंह कोतवाल की देन थी, लेकिन इन तथ्याें को पन्ने से हटाया गया। इतिहासकारों ने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि अब धनसिंह कोतवाल पर गंभीर शोध की जरूरत है। मेरठ बाईपास स्थित एक संस्थान में शोध संस्थान पांचली खुर्द द्वारा शहीद धनसिंह कोतवाल की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि एसपी सिटी डा. अखिलेश नारायण सिंह व इतिहासकार प्रो. केके शर्मा ने किया। मुख्य अतिथि डा.अखिलेश नारायण सिंह ने कहा कि हम इतिहास से बहुत दूर हो गए हैं, जिसे ऐसे ही प्रयासों से जिंदा किया जा सकता है। वक्ता डा.यतेन्द्र कटारिया ने कहा कि दस मई 1857 की शाम को साढ़े पांच बजे आक्रमण हुआ। अंग्रेज अधिकारी आदेश देते रहे लेकिन कोतवाल धनसिंह ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया।

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थाना सदर बाजार को सजाया गया

मेरठ के सदर थाने में भी क्रांति दिवस के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान थाने को फूलों से सजाया गया था। कुछ माह पूर्व ही थाना परिसर में धनसिंह कोतवाल की प्रतिमा का अनावरण किया गया था। थाना सदर बाजार के कोतवाल रहे धन सिंह ने 10 मई 1857 को हुए गदर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कार्यक्रम में पहुंचे एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि मेरठ का इतिहास काफी पुराना है। मेरठ से उठी चिंगारी ने ही आगे चलकर बड़े आंदोलन का रूप लिया। मेरठ का नाम गदर के इतिहास में सवर्णिम अक्षरों में लिखा हुआ है। एसएसपी नितिन तिवारी ने कहा कि आज 10 मई 1857 के दिन ही मेरठ से आजादी की पहली चिंगारी उठी थी। जिसने अंग्रेजों की नींव हिला दी थी। ये क्रांतिधरा है। यहां के लोग काफी मेहनती हैं। आज मेरठ का नाम इस क्रांति के कारण देश ही नहीं दुनिया के सभी देशों के बीच गौरव के साथ लिया जाता है।

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