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केरल के ‘निपह’ वायरस के कारण प्राइवेट अस्पतालों ने नर्सों की छुट्टी रद की

चिकित्सक नहीं चाहते कि नर्सों के लौटने पर वे यहां लाएं निपह वायरस  

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केरल के 'निपाह' वायरस के कारण प्राइवेट अस्पतालों ने नर्सों की छुट्टी रद की

मेरठ। मेरठ जिले में करीब 1200 नर्सिग होम और प्राइवेट अस्पताल हैं। जिनमें बड़े पैमाने पर केरल की युवतियां और महिलाएं नर्स के रूप में कार्य करती है। जून में गर्मी की छुट्टियों में अपने घर केरल जाने के लिए अधिकांश नर्सों ने अवकाश लिया था, लेकिन इनके अवकाश कैंसिल कर दिए गए हैं। अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों ने उनके यहां कार्यरत केरल के नर्सिग स्टाफ से अनुरोध किया है कि वे केरल तब तक न जाएं जब तक कि खतरा वहां से कम नहीं हो जाता।

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'निपह' वायरस का खतरा

केरल में फैले 'निपह' वायरस की दहशत मेरठ में भी दिखाई देने लगी है। वरिष्ठ फीजिशियन डा. राजीव गुप्ता ने बताया कि हालांकि 'निपह' वायरस का मेरठ से कोई संबंध नहीं है, लेकिन यह वायरस केरल गए लोगों के साथ यहां पर टूरिस्ट के रूप में आ सकता है, इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है।

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क्या है निपाह

केरल में 'निपह' वायरस से 16 मौतें हो चुकी हैं। यह सुनकर सबके मन में डर बैठ गया है, जबकि डरने के बजाए अगर थोड़ी सी सावधानी रखी जाए तो इससे आसानी से बचा जा सकता है। डा. वेद प्रकाश के अनुसार लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत है। उनके अुनसार फौरी तौर पर इस बीमारी से बचने के लिए यह आवश्यक है कि केरल की तरफ से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग की जाए और यदि किसी यात्री में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो उससे आइसोलेट करके यानी अलग वार्ड में इलाज किया जा सकता है।

तटीय इलाके से शुरू होती है बीमारी

बीमारी की शुरुआत ज्यादातर समुद्र तटीय इलाकों से हुई है। इसी क्रम में केरल में इस का प्रकोप सामने आया है। आपको बता दें 'निपह' वायरस मुख्य रूप से फ्रूट बैट यानी फल खाने वाली चमगादड़ से फैलता है। उन्होंने बताया अभी तक उत्तर प्रदेश में इसका कोई केस नहीं सुनाई पड़ा है और अगर सतर्कता बरती जाती है तो कोई केस होगा भी नहीं।