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डा कंचन सिंह ने बताया कि अगस्त में अधिक वर्षा,हवा की दिशा में परिवर्तन और समुद्र की सतह का पानी ठंडा होना ला नीना के असर का संकेत कर रहे हैं। इसके कारण इस बार सर्दी जल्दी और काफी पड़ सकती है। उनके मुताबिक अगस्त की वर्षा में आखिरी दिनों में हवा में ठंडक का अहसास होगा। इससे ला नीना के सक्रिय होने की पूरी संभावना है। इसका असर इंडोनेशियाई क्षेत्र, मैक्सिको की खाड़ी, दक्षिणी अमेरिका समेत कई द्वीप पर पड़ेगा। भारत के दक्षिण क्षेत्र और उत्तर पश्चिम में ठंड का जल्द लोगों को अनुभव होगा। उन्होंने बताया कि ला नीना मानसून का रुख तय करने वाली एक प्रमुख समुद्री भूगोलीय घटना है, जो कि सात से आठ साल में अल नीनो के बाद होती है। अल नीनो में जहां समुद्र की सतह का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, वहीं ला नीना में समुद्र की सतह का तापमान कम होने लगता है। इसके पीछे बड़ी वजह हवा की दिशा में बदलाव होना है। इसमें समुद्री क्षेत्रों में हवा की रफ्तार 55 से 60 किमी रहती है। मैदानी क्षेत्रों में यह 20 से 25 किमी की गति से चलती है।
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