
मेरठ। हर साल की तरह इस बार भी प्याज की महंगाई ने आम लोगों के आंसू निकाल दिए हैं। एक दिन में ही प्याज का भाव 50 से बढ़कर 80 रूपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। प्याज के दामों में बढ़ोतरी हर खास से आम तक को रूला देती है। प्याज के दाम सेब के दामों से आगे निकल गए हैं। कई बार तो प्याज की बढी कीमत ने राज्य की सरकारें तक गिरा दी हैं। दिल्ली में 2013 में प्याज के कारण ही शीला दीक्षित सरकार मुश्किल में आ गई थी। राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मंच से प्याज की बढ़ती कीमतें चुनावी मुद्दा भी बनता रहा है। वैसे इस बार प्याज की आवक कम होने से प्याज के दाम बढ़ने बताए जा रहे हैं।
प्लाज की कीमत में बढ़ोतरी
प्याज के दामों में तो सीधे मूल्यों की वृद्धि 30 से 50 प्रतिशत तक होती है। कभी-कभी तो सीधे दो गुना दाम पहुंच जाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो प्याज खेत से निकलने के बाद सबसे जल्दी खराब होने वाली फसलों में से एक मानी जाती है। प्याज के दामों में बढ़ोतरी से इसका लाभ किसानों को मिलता है। उसके बाद व्यापारियों को। किसान खेत से प्याज की खुदाई तभी शुरू करता है जब प्याज के दामों में प्रतिवर्ष वृद्धि होती है।
चीन के बाद दूसरे नंबर पर
प्याज में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। पिछले एक दशक में भारत में प्याज के उत्पादन में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है। 2002 में इसका उत्पादन 4.5 मिलियन टन होता था, जो 2015-16 में बढ़कर लगभग 21 मिलियन टन हो गया।
Published on:
24 Sept 2019 06:38 pm
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