जीवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो ओमप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि खाद निर्माण से कचरा पदार्थों के निरापद प्रबंधन, पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, पर्यावरण सुधार तथा पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है। यह जैविक कृषि का प्रमुख आधार है तथा मानव समाज के स्थिर और चहुंमुखी (कृषि, पर्यावरणीय, आर्थिक – सामाजिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान एवं तकनीकी) विकास में सहायक है। उन्होंने कहा कि जैविक खाद और केचुआ खाद के क्षेत्र में नवाचार के अवसर और चुनौतियां हैं।
यह भी पढ़े : Cheating in Exam : वाट्सएप ग्रुप पर मेडिकल के छात्र ऐसे कर रहे थे सामूहिक नकल,फ्लाइंग स्क्वाड टीम भी हैरान प्रो0 ओमप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि वर्मिकम्पोस्टिंग इकाइयों द्वारा कृषक और पशुपालक अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं, बेरोजगार स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं, महिलाएं इसे हॉबी के रूप में अपनी फुलवाड़ी और किचिन गार्डन के लिए कचरे से खाद बना सकती हैं, वरिष्ठ नागरिक अपने समय का सदुपयोग कर सकते हैं और छात्र छात्राएं कुछ नया और पर्यावरण मैत्रिक सीखने हेतु इसमें रुचि ले सकते हैं। केंचुआ खाद के क्षेत्र में लघु उद्योग, उद्यमिता, स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। युवाओं को प्रोत्साहित करने हेतु स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप कार्यक्रम भी संचालित किए जा सकते हैं। गरीब और पिछड़े वर्ग के पुरुष/महिलाएं स्व सहायता समूह बना कर अथवा मनरेगा कार्यक्रम के अन्तर्गत इसमें कार्य दिया जा सकता है।
यह भी पढ़े : फेसबुक में नौकरी करने वाली मेरठी महिला की अमेरिका में मौत,ट्विटर में नौकरी करने वाले दामाद पर आरोप इस कार्यक्रम के अंत में विज्ञान प्रसार द्वारा उपलब्ध कराई गई इस साइंस फॉर चेंज प्रॉब्लम्स इन विलेज नामक वीडियो का प्रसारण किया गया इस कार्यक्रम में कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला प्रति कुलपति प्रोफेसर वाई विमला प्रोफेसर शैलेंद्र शर्मा प्रोफेसर मुकेश शर्मा प्रोफेसर संजीव शर्मा प्रोफेसर एके चौबे डॉ नाजिया तरन्नुम डॉक्टर निखिल कुमार डॉक्टर मीनू तेवतिया डॉ राजीव अग्रवाल डॉ प्रियंका कक्कड़ डॉ मनीषा भारद्वाज डॉ सरु कुमारी डॉ प्रदीप चौधरी डॉक्टर पूजा डॉक्टर सत्येंद्र आदि मौजूद रहे।