scriptExclusive: प्लेन हाइजैक हो चुका है आपमें से कोई एक्शन में न आए | Kandhar Case: Plane has been hijacked None of you have come in action | Patrika News

Exclusive: प्लेन हाइजैक हो चुका है आपमें से कोई एक्शन में न आए

locationमेरठPublished: Dec 30, 2017 07:52:16 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

पहले तो सभी यात्रियों ने सोचा कि ये दोनों युवक कोई प्ले कर रहे हैं, लेकिन जब उनकी एक्टिविटी आम लोगों से अलग दिखाई दी तब हम समझ गए।

Victim Doctor
केपी त्रिपाठी
मेरठ। मैं और मेरी पत्नी और छोटा बेटा, हम तीनों नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या आईसी 814 एयरबस 300 में 24 दिसंबर 1999 की दोपहर अपनी सीट पर बैठे थे। फ्लाइट वहां से टेकऑफ हुई। सब एजांयमेंट कर रहे थे। फ्लाइट टेकऑफ से करीब 20 मिनट बाद दो पतले से युवक खड़े हुए उनमें से एक के हाथ में चाकू था और दूसरे के हाथ में बम। उन्होंने प्लेन में बैठे सभी यात्रियों को आगाह करते हुए कहा कि प्लेन हाइजैक हो चुका है, आपमें से कोई एक्शन में न आए। यह कहना है मेरठ के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डा0 गिरीश त्यागी का।
पहले तो सभी यात्रियों ने सोचा कि ये दोनों युवक कोई प्ले कर रहे हैं, लेकिन जब उनकी एक्टिविटी आम लोगों से अलग दिखाई दी तब हम समझ गए। इसके बाद उन्होंने सभी लोगों को एक जगह बैठा दिया। डा0 गिरीश त्यागी अपनी पत्नी और छोटे बेटे के साथ काठमांडू घूमने गए थे और वे वापस उस प्लेन से आ रहे थे जिसका अपहरण हुआ था। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर यह हाईजैक 10 दिन तक चला। उन दस दिन में जो कुछ डा0 गिरीश त्यागी ने झेला वह पत्रिका से साझा किया।
प्लेन हाईजैक की मनोस्थिति पर डा0 गिरीश लिख रहे हैं थीसिस
डा0 गिरीश प्लेन हाईजैक के समय जो मनोस्थिति होती है उस पर थीसिस लिख रहे हैं। उन्होंने पत्रिका को बताया कि वे उस मनोस्थिति से रूबरू हुए हैं उन्हें पता है कि उस समय यात्रियों पर क्या गुजरती है। इन्हीं सब को ध्यान में रखकर वे एक थीसिस लिख रहे हैं जो जल्द ही प्रकाशित होगी।
प्लेन कहां जा रहा है हमें पता नहीं चला
डा0 गिरीश त्यागी बताते हैं कि प्लेन हाईजैक के बाद उसने कहां-कहां लैंडिग की यह किसी यात्री को पता नहीं चला। प्लेन में छोटे बच्चे और महिलाओं को मिलाकर कुल 176 यात्री थे। हाइजैकर्स प्लेन को दुबई ले गए। लेकिन हमें यह पता नहीं चला कि हम दुबई में है। वहां पर हाइजैकर्स ने 27 लोगों को प्लेन से उतार दिया जिसमें डा0 गिरीश पत्नी और छोटा बेटा भी शामिल था।
हाईजैक के एक दिन बाद पता चला कि हम कांधार में हैं
डा0 गिरीश बताते है कि प्लेन हाईजैक के एक दिन बाद उन्हें और अन्य यात्रियों को पता चला कि वे लोग कांधार में है। कांधार में कुछ लोग बाहर से प्लेन में चढे उनके हाथ में असाल्ट राइफलें थी। उन्होंने बताया कि आप अफगानिस्तान के कांधार में हैं और यहां पर तालिबान की सरकार है। किसी को कोई परेशानी होती है तो एयर होस्टेस को बताया जाए।
सुबह-शाम प्लेन में आते थे बाहरी लोग
डा0 गिरीश बताते है। प्लेन में पूरी तरह से अंधेरा था। दिन में जरूर सूरज की रोशनी में हम सभी एक दूसरे का चेहरा देख लिया करते थे। सुबह-शाम प्लेन में बाहरी लोग आते थे और वे कुछ देर रूककर चले जाते थे।
आधी रोटी और प्याज के टुकडे के सहारे गुजारे दिन
प्लेन जितने दिन हाईजैक रहा उतने दिन यानी दस दिन तक सभी यात्रियों को आधी रोटी और प्याज के आधे टुकड़े के साथ छोटी सी हरी मिर्च खाने को दी जाती थी।
दिन में नहीं मिलता था पानी
हाईजैकर्स ने पानी पीने के लिए भी मना किया हुआ था। पानी सुबह-शाम या फिर बहुत जरूरत पड़ने पर दोपहर को मिलता था। वह भी डिस्पोजल गिलास का आधा। उसे भी हाथ लगाकर नहीं पी सकते थे। पानी पिलाने के लिए एयरहोस्टेस आती थी और मुंह में पानी डालकर चली जाती थीं।
महिलाओं और एयरहोस्टेस को मुंह ढकने के लिए मजबूर किया
तालिबान आर्मी ने प्लेन में बैठी महिलाओं और एयरहोस्टेस को मुंह ढकने के लिए कहा और हिदायत दी कि अगर आंख के अलावा मुंह का कोई हिस्सा दिखाई दिया तो गोली मार देंगे।
31 दिसंबर 1999 की सुबह आया आजादी का पैगाम
31 दिसंबर 1999 की सुबह लंबा चौड़ा युवक आया और बोला आज शाम आप सब आजाद हो जाएंगे। भारत सरकार से समझौता हो गया है। हमें प्लेन के भीतर यह भी नहीं पता चल रहा था कि वे लोग चाहते क्या हैं। किस चीज का समझौता हुआ है। पूरा मामला क्या है। लेकिन जब हम कांधार से दिल्ली पहुंचे तो पता चला कि उनकी डील कितनी खतरनाक थी और हम लोग वर्ल्ड मीडिया और देश दुनिया की दस दिन तक सुर्खियां बने रहे।
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