script1946 में पंडित नेहरू द्वारा मेरठ में फहराया खादी तिरंगा पुणे की सार्वजनिक प्रदर्शनी में पहली बार प्रदर्शित | Khadi tricolor hoisted by Pandit Nehru at Meerut In 1946 displayed for the first time in a public display in Pune | Patrika News

1946 में पंडित नेहरू द्वारा मेरठ में फहराया खादी तिरंगा पुणे की सार्वजनिक प्रदर्शनी में पहली बार प्रदर्शित

locationमेरठPublished: Jul 28, 2022 10:02:45 am

Submitted by:

Kamta Tripathi

Historical Khadi Tricolor in Meerut नवंबर 1946 में मेरठ में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा फहराया गया और केंद्र में चरखा की छवि वाला खादी तिरंगा पहली बार पुणे में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए ले जाया गया। खादी का यह तिरंगा भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) की तीसरे डिवीजन के तत्कालीन जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल (दिवंगत) गणपत आर नागर के परिवार के पास सुरक्षित रखा हुआ है।

1946 में पंडित नेहरू द्वारा मेरठ में फहराया खादी तिरंगा पुणे की सार्वजनिक प्रदर्शन में पहली बार प्रदर्शित

1946 में पंडित नेहरू द्वारा मेरठ में फहराया खादी तिरंगा पुणे की सार्वजनिक प्रदर्शन में पहली बार प्रदर्शित

Historical Khadi Tricolor in Meerut आजादी से पहले देश में पहली बार मेरठ में खादी का बना 9 x 14 फीट का तिरंगा मेरठ में विक्टोरिया पार्क में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था। उसके बाद से खादी का ये तिरंगा झंडा मेरठ के हस्तिनापुर में नागर परिवार के पास सुरक्षित रखा हुआ है। खादी के इस ऐतिहासिक तिरंगे को पुणे में स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष और कारगिल विजय दिवस, देव नगर, मेजर जनरल नागर के पोते की स्मृति में प्रदर्शित करने के लिए रखा गया था। 1946 के बाद पहली बार खादी का ये ऐतिहासिक तिरंगा मेरठ से बाहर गया। इस तिरंगे को देव नागर अपने साथ पुणे लेकर गए थे।

बता दें कि 1946 में, पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता से पहले कांग्रेस के अंतिम अधिवेशन में मेरठ में बोस के आईएनए के अधिकारियों की उपस्थिति में झंडा फहराया था। मेरठ के एक स्कूल में प्रधानाचार्य देव नागर ने बताया कि यह पहली बार था जब यह एतिहासिक झंडा मेरठ से बाहर ले जाया गया।
“स्वतंत्रता पूर्व कांग्रेस का सत्र 24 नवंबर, 1946 को मेरठ के विक्टोरिया पार्क में हुआ था। जहाँ कांग्रेस के पदाधिकारी शामिल हुए थे। इस अधिवेशन में पंडित नेहरू ने खादी का तिरंगा फहराया था। इस तिरंगे बीच में चरखा की छवि थी।
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देव नागर ने बताया कि उनके दादा को उस समारोह में व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जेबी कृपलानी, नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और सुचेता कृपलानी ने की थी। उन्होंने बताया कि सत्र के आखिरी दिन झंडा उतारा गया। नेहरू और आईएनए के जनरल शाहनवाज खान ने इस पर हस्ताक्षर करके उनके दादा को सौंप दिया। देव नागर ने बताया कि उनके परिवार ने तब से ध्वज को सुरक्षित रखा है। उन्होंने कहा, “झंडा तब से हमारे पास है, सुरक्षित और संरक्षित है।” देवनगर के अनुसार, नेहरू ने तब कहा था कि उन्होंने इसी झंडे के नीचे आजादी की लड़ाई लड़ी और यह देश का राष्ट्रीय ध्वज होगा।
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