
covid 19
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. सांप के काटे का इलाज उसी के जहर से बनी इंजेक्शन से किया जाता है। कोरोना वैक्सीन ( Corona vaccine ) काे बनाने में भी इसी फॉर्मूला काे अपनाया गया है। यह कहना है मेरठ मेडिकल कॉलेज के नोडल अधिकारी रहे डॉक्टर वेद प्रकाश का। उनके अनुसार कोरोना वायरस से लड़ने के लिए उसी वायरस का प्रयोग किया गया है जो पहले से संक्रिमित रहा है।
ऐसे करती है कोविड शील्ड वैक्सीन काम
कोरोना वायरस के जिन्दा वायरस को पूरी तरह निष्क्रिय करके कोविडशील्ड वैक्सीन को तैयार किया गया है। यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। इस वैक्सीन का एंटीडोज बॉडी में पहुंचकर एंटीबोडिज उत्पन्न करता है। कोरोना की वैक्सीन को वैज्ञानिकों ने जिन्दा वायरस के संक्रमण की क्षमता को पूरी तरह नष्ट करके बनाया है। कोरोना वैक्सीन में वायरस है लेकिन उसको पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया गया है। यह निष्किय वायरस शरीर में पहुंचकर एंटीबॉडी बनाने का कार्य करता है।
दोनों डोज की प्रक्रिया पूरी करने पर ही प्रभावी
डाक्टर वेद प्रकाश का यह भी कहना है कि वैक्सीन तभी पूरी तरह प्रभावित होगी जब इसकी दोनों डोज की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। वैक्सीन की पहली डोज के बाद 28 वें दिन दूसरी डोज लेनी होगी। दूसरी डोज लेने के बाद ही वैक्सीन पूरी तरह प्रभावशाली रहेगी। वैक्सीन बनाने में करीब साढ़े चार से पांच महीने लगे हैं जबकि सामान्यत वैक्सीन बनाने में लगभग चार से पांच साल का समय लगता है।
वैक्सीन लगवाने के बाद भी हो सकता है कोरोना संक्रमण
उन्होंने यह भी बताया कि वैक्सीन लगने बाद दोबारा संक्रमण की भी आशंका है लेकिन यह तभी संभव हो सकेगा जब वायरस का ज्यादा हैवी लोड होगा लेकिन ऐसा हाेने की उम्मीद बहुत कम रहती है। यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। वैक्सीन के टीकाकरण के लिए तीन रूट बनाये गये हैं। कोरोना वायरस की वैक्सीन शुक्रवार को सभी बूथों पर पहुँचा दी गई। वैक्सीन को पुलिस की निगरानी में वैक्सीन वैन के कोल्ड बॉक्स में रखकर भेजा गया है।
Updated on:
15 Jan 2021 09:47 pm
Published on:
15 Jan 2021 09:40 pm
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