5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जानिए, हर शहर में क्यों अलग-अलग होते हैं सोने के भाव

वीडियो में बता रहे हैं यूनाइटेड ज्वैलर्स एंड मैन्यूफैक्सर्चस के अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय भाव तय होने के बाद भी शहरों में होता है अंतर

2 min read
Google source verification

मेरठ

image

shivmani tyagi

Mar 13, 2021

gold.jpg

जानिए, हर शहर में क्यों अलग-अलग होते हैं सोने के भाव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

मेरठ. सोने ( gold ) के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय भाव तय होने के बाद भी देश के हर जिले और हर राज्य में सोने के दामों में अंतर पाया जाता है, लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है ? देश की राजधानी दिल्ली में सोने के भाव कम और इसी दिल्ली से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेरठ में सोने के भाव अलग-अलग हैं।

यह भी पढ़ें: जानिए कानपुर सर्राफा बाजार में सोने और चांदी का भाव, हॉलमार्क का रखें विशेष ध्यान

सर्राफ व्यापारी मानते हैं कि सोने के दामों में शहरों के हिसाब से कम और ज्यादा होने से इसका खामियाजा शहर के सर्राफ को भुगतना पड़ता है। प्रतिदिन सोने का राष्ट्रीय भाव खुलता है, उसके अनुसार सोने के दामों में बाजार में तेजी और कमी आ जाती है। सोने के दामों में आने वाले इस उतार-चढ़ाव का बाजार पर भी प्रभाव पड़ता है जिसका सीधा खाजियामा सर्राफ काे भुगतना पड़ता है।

ट्रांसर्पोटेशन और अन्य टैक्सों का पड़ता है प्रभाव

यूनाइटेड ज्वैलर्स एंड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅक्टर संजीव अग्रवाल का कहना है कि देश के करीब-करीब सभी शहरों और राज्यों में सोने के भाव में अंतर रहता है। इसका सबसे बड़ा कारण ट्रांसपोर्टेशन को माना जाता है। वह कहते हैं कि इसके अलावा स्थानीय बाजार का भी अपना टैक्स होता है। इसके अलााव सोने के जेवर बनाने वाले कारीगर कहीं सस्ते में जेवर बनाते हैं तो कहीं जेवर बनाने के कारीगर महंगे हैं।

मेरठ और दिल्ली के दामों में रहती है कुछ समानता

डाॅक्टर संजीव का कहना है कि दिल्ली और मेरठ के दामों में काफी हद तक समानता रहती है। मेरठ में बने सोने के आभूषण पूरे विश्व में सप्लाई होते हैं। यहां के बने आभूषण खाड़ी देशों के अलावा एशिया के लगभग सभी देशों में पसंद किए जाते हैं। जिस देश की जैसी ज्वैलरी की डिमांड होती है उसको बनाने वाले कारीगर का पारिश्रमिक भी अलग होता है। इसके चलते यहां से बनकर चली ज्वैलरी के दाम देश ही नहीं विदेश में भी काफी असमान होते हैं।

एक समान हों सोने के दाम

डाॅक्टर संजीव अग्रवाल बताते हैं कि अकेले मेरठ में ही 20 से अधिक सर्राफा यूनियन हैं। इन सर्राफा यूनियनों के अपने नियम हैं। उन्होंने मांग की है कि देश में सोने के भाव एक समान ही होने चाहिए। चाहे वह ज्वैलरी के हों या फिर ठोस सोने के। सोने के भाव में इस असमानता का असर कारोबारियों पर पड़ता है। भाव में असमानता के कारण कारोबारियों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। इसलिए सभी यूनियनों को समाप्त कर एक संयुक्त यूनियन के नीचे काम करना चाहिए।