
Mahashivratri special: इस मंदिर में लंकापति रावण ने की शिव की पूजा तो हुई थी मंदोदरी से मुलाकात, देखें वीडियो
मेरठ। मेरठ को लंकापति रावण की ससुराल कहा जाता है। रावण को शिव का बहुत बड़ा भक्त कहा जाता है। पुराणों के अनुसार रावण को जब किसी भी शिव मंदिर के बारे में पता चलता था तो वह वहां पूजा करने जरूर जाता था। मेरठ में बिल्वेश्वरनाथ महादेव मंदिर जो कि मंदोदरी के पिता मयदानव नामक दैत्य महाराजा ने बनवाया था। उसके बारे में रावण ने खूब सुना था। रावण इस मंदिर में शिव की उपासना करने के निमित्त से अपने पुष्पक विमान से आया था। फिर यहीं पर रावण की मुलाकात मयदानव की पुत्री मंदोदरी से हुई थी। रावण मंदोदरी के रूप से इतना मोहित हुआ कि उसने मयदानव से मंदोदरी का हाथ मांग लिया।
मंदोदरी ने रावण के सामने रखी थी ये शर्त
मंदोदरी ने रावण के सामने शर्त रखी कि वह रावण से शादी करने को तैयार तो हैं, लेकिन वह प्रतिदिन इस मंदिर में शिव की पूजा करने के लिए आया करेंगी। रावण ने मंदोदरी की यह बात तुरंत मान ली। सदर स्थित श्री बिल्वेश्वरनाथ शिव मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह मंदिर शिव के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर की मान्यता है कि मंदोदरी यहां पर प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करने आती थीं। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने के लिए कहा था। बाबा की कृपा से इसी मंदिर में रावण से मंदोदरी की पहली मुलाकात हुई थी, जिसके बाद दोनों की शादी हुई।
मेरठ को मय के नाम से जाना जाता था
मेरठ का प्राचीन नाम मयदंत का खेड़ा था। यह उस वक्त मयदानव राज्य की राजधानी मेरठ हुआ करती थी। लगभग 1980 ईसा पूर्व में मय दावन को एक बेटी हुई, जिसका नाम उन्होंने मंदोदरी रखा।
मंदोदरी रोज सखियों के साथ आती थी पूजा करने
मंदिर के आचार्य पंडित हरीश चंद्र जोशी के अनुसार त्रेता युग में दशानन रावण की पत्नी मंदोदरी अपनी सखियों के साथ यहां आती थीं। वह भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना किया करती थीं। ऐसी मान्यता है कि उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने इसी मंदिर में उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने के लिए कहा था। भोलेनाथ की कृपा से यहीं पर रावण से उनका मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि यहां सच्चे मन से जो भी पूजा करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
महाशिवरात्रि पर मंदिर में होती है विशेष पूजा
महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भगवान शिव सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं।
Published on:
03 Mar 2019 04:58 pm
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