
पत्नी मायके से नहीं लौटी तो पति ने केरोसिन डालकर खुद को लगाई आग
मेरठ। मेरठ के मेडिकल कालेज की अव्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के सभी उपाए कोरोना काल में फेल हो रहे हैं। चिकित्सक से लेकर कर्मचारी तक मेडिकल में कोरोना संक्रमित मरीजों और उनके परिजनों के साथ अभद्रता से पेश आ रहे हैं। वहीं कोरोना से मरे व्यक्ति के शवों की दुर्गति भी किसी से नहीं छिपी हुई है। आरोप है कि परिजनों से ही शवों को सील करवाया जा रहा है। जबकि मेडिकल सांइस के अनुसार कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव में भी वायरस की उपस्थिति बरकरार रहती है। इसकी पुष्टि चिकित्सीय शोध कर चुके हैं। इसके बावजूद मेडिकल कालेज में लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जिसमें सूरजकुंड श्मशान गृह में अपने जीजा के अंतिम संस्कार के लिए आए प्रतापगढ़ निवासी युवक ने आरोप लगाया कि उसे और उसके जीजा के बड़े भाई को शवों को रखने वाले कमरे में घुसने के लिए कहा गया। वहां पर सात शव पहले से रखे थे। मोर्चरी में जबरदस्त दुर्गंध उठ रही थी। आरोप है कि दो कर्मचारी जो पीपीई किट पहने थे, वह मोर्चरी के बाहर खड़े रहे। शव को हाथ तक नहीं लगाया। कर्मचारियों ने उनसे कहा कि वह खुद शव को सील करें। मुंह में अंगौछा और मास्क लगाकर उन्होंने संक्रमित शव को सील किया। इसके पहले वह खुद ही अपने जीजा का शव वार्ड से स्ट्रेचर पर लेकर मोर्चरी में लेकर आए।
युवक ने बताया कि उसका जीजा दिल्ली की ट्रांसपोर्ट कंपनी में ट्रक चालक थे। शामली में ट्रक से माल लाने के बाद ही उनकी तबियत खराब हो गई थी। जिसके बाद उन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। भर्ती होने के दूसरे ही दिन उनकी मौत हो गई। परिवार में बहन और दो छोटे बच्चे हैं। आरोप है कि मेडकल कॉलेज का स्टाफ सीधे मुंह बात नहीं करता है। कहते हैं तुम नहीं करोगे तो दूसरा कौन हाथ लगाएगा। जिस पर उन्होंने अपने जीजा के शव को सील करने के लिए पहले पीपीई किट की मांग की तो उन्होंने इसके लिए भी मना कर दिया। वहीं इस मामले में जब मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा.एसके गर्ग से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मेडिकल में कोरोना से मृत शवों को पूरी तरह से सील कर ही परिजनों को सौंपा जा रहा है।
Updated on:
16 Jun 2020 02:42 pm
Published on:
16 Jun 2020 02:39 pm
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