
उत्तर भारत की यह जेल बन गर्इ नंबर वन, स्वच्छता के लिए यहां उठाए गए ये कदम, देखें वीडियाे
मेरठ। अपने कारनामों से सुर्खियों में रहने वाली मेरठ की जिला जेल अब उत्तरी भारत की पहली ऐसी जेल बन गई है जो कि अपने परिसर में निकलने वाले कूड़ा का खुद ही निस्तारण करेंगी। यह उत्तरी भारत की पहली एकमात्र ऐसी जेल है। मेरठ निगम और प्रशासन की मदद से यहां कूड़ा निस्तारण क्षमता की यांत्रिक मशीन लगार्इ गई है। इस मशीन की क्षमता दो क्विंटल कूड़ा प्रतिदिन निस्तारण की क्षमता है। इससे कम्पोस्ट खाद बनाई जाएगी जो कि खेतों में प्रयोग की जाएगी। शनिवार को इस यूनिट का उद्घाटन मंडलायुक्त मेरठ अनीता सी मेश्राम और महापौर मेरठ सुनीता वर्मा ने किया।
कूड़ा निस्तारण की थी समस्या
बताते चलें कि महानगर के साथ ही जिला जेल के लिए भी कूड़ा निस्तारण की समस्या बनी हुई है। मेरठ मंडलायुक्त अनिता सी मेश्राम ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और उन्होंने यह प्रयास किया कि अब कूड़े का निस्तारण उसी स्थल पर ही किया जाए जहां पर वह निकले। इसी के तहत अब शहर के सरकारी कार्यालयों, परिसरों, स्कूल-कॉलेजों, विभिन्न कालोनियों के पार्कों में 214 स्थानों पर ऐसी कंपोस्टिंग यूनिट लगाई जा रही हैं, जो कि अपना कूड़ा खुद ही निस्तारित करेंगी। जिला जेल में भी कूड़ा निस्तारण की एक यूनिट लगाई गई। इसी कड़ी में चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में भी कूड़ा कंपोस्ट करने की क्षमता वाली पूर्ण यांत्रिक मशीन का उद्घाटन किया गया। मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम शहर को स्वच्छ रखें। उन्होंने कहा कि शहर में रहने वाले हर नागरिक की जिम्मेदारी गंदगी दूर करना है। उन्होंने कहा कि मेरठ जैसे महानगर में कंपोस्टिंग यूनिट बहुत जरूरी है।
बनेगी तीन टन खाद
जिला जेल परिसर में पत्ती, टहनी, फूड और अन्य कूडे़ को मिलाकर करीब छह टन कूड़ा प्रतिमाह निकलेगा। जिससे तीन टन खाद बनाई जा सकेगी। इस खाद का उपयोग जेल परिसर की 50 एकड़ कृषि योग्य भूमि में किया जाएगा। मेरठ की जिला कारागार उप्र ही नहीं पूरे उत्तरी भारत की पहली ऐसी जेल बन गई है जो कि अपने यहां निकलने वाले कूड़ा का निस्तारण खुद ही करेगी।
Published on:
25 Nov 2018 12:06 pm
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