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मेरठ। डीएम अनिल ढींगरा (DM Meerut) ने निजी मार्डन लैब (Private Lab) की बड़ी लापरवाही पकड़ी है। इस लैब में ठीक-ठाक मरीजों को कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) बनाए जाने का खेल चल रहा था। लैब में कई मामले ऐसे सामने आए जहां लोगों को कोरोना पॉजीटिव बता दिया गया, जब उनकी दोबारा जांच हुई तो वह निगेटिव निकले। इस बड़ी लापरवाही पर डीएम ने तुरंत मार्डन लैब का लाइसेंस सस्पेंड करने का आदेश जारी कर दिया।
बता दें कि जिले में मेडिकल की सरकारी लैब के अलावा कोरोना की जांच के लिए दो और पैथोलॉजी लैब को अधिकृत किया गया था। इनमें से एक डॉ. पैथ लैब और दूसरी प्यारेलाल अस्पताल की मार्डन लैब है। जिसे गुरुग्राम की एक निजी कंपनी संचालित करती है। मार्डन लैब में कोरोना की जांच के लिए सैंपल कलेक्शन का काम मेरठ में होता है और सैंपल की जांच गुरुग्राम में होती है। कंपनी इसके लिए 3800 रुपये के अलावा कलेक्शन चार्ज भी लेती है, लेकिन इतनी मोटी रकम लेकर भी गलत रिपोर्ट दी जा रही थी। कई ऐसे लोगों को कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया गया। जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
सोमवार को खुद डीएम अनिल ढींगरा ने यह बड़ी चूक पकड़ी। बीते दो दिनों में मॉर्डन लैब में आठ व्यक्तियों के सैंपल जांच के बाद उन्हें कोरोना पॉजिटिव घोषित कर दिया गया था। इन सभी मरीजों की जांच मेडिकल कॉलेज की लैब में हुई तो छह निगेटिव मामले सामने आए। इसकी सूचना डीएम अनिल ढींगरा को मिली तो उन्होंने खुद इसकी जांच की। जिसमें ये हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने तुरंत उक्त लैब को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए।
Published on:
26 May 2020 11:09 am
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