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Rupal Chaudhary in Commonwealth Games 2022: बचपन का शौक जनून में बदला तो रूपल चौधरी बनीं चैंपियन, बेटी के स्वागत को गांव

Rupal Chaudhary in Commonwealth Games 2022 कहते हैं बचपन का शौक अगर जुनून में बदल जाए तो उसको फिर सफलता से कोई नहीं रोक सकता। कुछ ऐसा ही मेरठ के गांव जैनपुर की बेटी रूपल चौधरी के साथ हुआ। रूपल चौधरी ने अपने ही अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो मेडल जीतकर अपने इरादों को दर्शा दिया है। रूपल के पिता का कहना है कि उनकी बेटी का सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का है।

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मेरठ

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Kamta Tripathi

Aug 06, 2022

Rupal Chaudhary in Commonwealth Games 2022: बचपन का शौक जनून में बदला तो रूपल चौधरी बनीं चैंपियन, बेटी के स्वागत की तैयारी में गाव

Rupal Chaudhary in Commonwealth Games 2022: बचपन का शौक जनून में बदला तो रूपल चौधरी बनीं चैंपियन, बेटी के स्वागत की तैयारी में गाव

Rupal Chaudhary in Commonwealth Games 2022 मेरठ से 16 किमी की दूरी पर स्थित गांव शाहपुर जैनपुर जो कि रोहटा ब्लाक में आता है। आज ये गांव एक बेटी के कारण अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो गया है। इस गांव के रहने वाले किसान ओमवीर सिंह की बेटी रूपल चौधरी आज मेरठ ही नहीं देश और इंटरनेशनल स्तर पर छाई हुई हैं। किसान ओमवीर सिंह की बेटी ने कामनवेेल्थ खेल 2022 में एक नहीं बल्कि दो पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। शाहपुर जैनपुर गांव की बेटी रूपल चौधरी के ऊपर आज गांव के हर व्यक्ति को नाज है और सभी रूपल के वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं। पूरा शाहपुर जैनपुर गांव की बेटी के स्वागत की तैयारी में जुटा हुआ है।
शौक के जुनून ने बेटी को बना दिया चैपियन
रूपल चौधरी के पिता ओमवीर सिंह पेशे से किसान हैं। उन्होंने बताया कि बेटी के भीतर बचपन से ही दौड़ने का जुनून था। वह जब खेत में होते थे तो बेटी बचपन में दौड़कर उनके पास पहुंचती थी। इसके बाद खेत के चारों ओर दौड़कर चक्कर लगाती रहती थी। ओमवीर सिंह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि बेटी रूपल चौधरी का ये शौक उसको एक दिन चैंपियन बना देगा।

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साक्षी मलिक और पीवी संधु है रूपल के आइडल
एथलीट रूपल चौधरी के आइडल साक्षी मलिक और पीवी संधु हैं। रूपल के पिता बताते हैं कि उनकी बेटी जब भी समाचार पत्र देखती थी तो साक्षी मलिक और पीवी संधु की न्यूज अधिक पढ़ती थी। उस समय इन दोनों का क्रेज अधिक था। रूपल की मां कहती हैं कि ग्रामीण परिवेश होने के कारण वो नहीं चाहते थे कि उकनी बेटी खेलने के लिए बाहर जाए। इसी जिद में रूपल ने तीन दिन खाना नहीं खाया तो इसके बार उन्होंने अपने पति को मनाया और बेटी के हौसलों केा उड़ान भरने में मदद की। ओमवीर सिंह कहते हैं कि जब वो 2017 में पहली बार रूपल चौधरी को बाइक में बैठाकर मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में कोच दंपती विशाल और अमिता सक्सेना के पास ले गए तो उस दिन उन्हें खुद ऐसा लग रहा था कि बेटी क्या अपने मकसद में कामयाब होगी। लेकिन उसके बाद बेटी रूपल आगे बढ़ती चली गई।

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खेती के साथ बढ़ी बेटी को प्रैक्टिस तक छोड़ने की जिम्मेदारी
रूपल के पिता ने कहा कि सुबह चार बजे जब वो खेत पर जाने के लिए उठते थे उसी दौरान बेटी भी उठ जाती थी। वो बाइक से प्रतिदिन मेरठ स्टेडियम 15 किमी का सफर तय कर उसको छोड़ने आते थे। रूपल चौधरी ने पांच वर्ष तक जी जोड़ मेहनत की। उसने ना तो दिन देखा और ना भूख प्यास। इसी का नतीजा है कि आज मेरठ की रूपल ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय दौरे में दो मेडल जीत खुद को साबित कर दिया है। कोलंबिया में आयोजित अंडर-20 जूनियर विश्व एथलेटिक्स चौंपियनशिप में 400 मीटर स्पर्धा में कांस्य पदक झटका है। वहीं 4×400 मीटर स्पर्धा में भी रजत पदक जीता है। उनके सामने 4×400 मीटर बालिका वर्ग स्पर्धा में एक और पदक पाने का मौका है।