31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Mukhtar Ansari: मुन्ना बजरंगी ने पश्चिम यूपी में बनाई थी मुख्तार अंसारी की पकड़, पश्चिम के इस गैंग से थे गहरे संबंध

पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने दस साल की सजा सुनाई है। मुन्ना बजरंगी के जरिए बाहुबली मुख्तार अंसारी की तूती पूरब से पश्चिम तक बोलती थी।

2 min read
Google source verification

मेरठ

image

Kamta Tripathi

Apr 29, 2023

a2910.jpg

यूपी के 90 दशक में गैंगवार और बाहुबली माफियाओं का अपने—अपने क्षेत्र में वर्चस्व रहा। 80 और 90 के दशक में पूरब से पश्चिम तक गैंगवार चलती थी और बड़े बदमाशों के अपने गैंग हुआ करते थे।

उस दौर में पश्चिम में महेद्र फौजी, राजबीर रमाल, रविद्र भूरा, सतवीर गुर्जर आदि बड़े नाम हुआ करते थे। शराब माफिया डीपी यादव का नाम भी इनमें शामिल रहा है।

पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सदस्य ब्रजलाल की माने तो मुख्तार अंसारी का संबंध पश्चिम में सतवीर गुर्जर गैंग से काफी अच्छा रहा था। मुख्तार अंसारी और सतवीर गुर्जर दोनों एक दूसरे के क्षेत्र में मदद किया करते थे।

पश्चिम में सतवीर गुर्जर गैंग के लिए मुख्तार अंसारी का मुन्ना बजरंगी कई गैंगवारों में शामिल रह। इन गैंगवारों में महेंद्र भाटी, डीपी यादव के भाई रामसिंह, कुशल पाल त्यागी, राजवीर भाटी, विधायक भोपाल सिंह, लोनी चेयरमैन राशिद समेत कईलोगों की जानें गईं।

80 और 90 दशक के बीच जब गैंगों के लिए एके 47 एक शान मानी जाती थी। उस दौरान पश्चिम में रविंद्र गुर्जर गैंग के पास एके 47 हुआ करती थी और पूरब में मुख्तार अंसारी गैंग के पास।

बताया जाता है कि दोनों गैंगों को एक साथ ही एके 47 मुहैया कराई गई थी। जरायम की दुनिया से जुड़े लोगों की माने तो उस दौरान एके 47 की कीमत 2 लाख रुपए थी।

महेंद्र फौजी शराब माफिया डीपी यादव के लिए काम करता था। पूरब में शराब के ठेकों को लेने में डीपी यादव की मदद कई बार मुख्तार गैंग ने पैसों के लिए की थी।

महेंद्र फौजी की हत्या के बाद पश्चिम के शराब ठेकेदारों के साथ मुख्तार अंसारी की साझेदारी भी हुई थी। शराब किंग के नाम से मशहूर किशन लाल जो कभी पूरे यूपी में एक साथ शराब के ठेके लेता था। उससे भी मुख्तार अंसारी के संबंध बताए जाते थे।

समय गुजरा तो पश्चिम से ढीली होती गई मुख्तार की पकड़
90 के दशक के बड़े बदमाश एक=एक कर या तो पुलिस एनकाउंटर में मारे गए या फिर गैंगवार की भेंट चढ़ गए। इससे पश्चिम में मुख्तार गैंग की पकड़ ढीली होती चली गई। बताया जाता महेंद्र फौजी की हत्या हो गई। सतवीर गुर्जर भी मारे गए।

मुन्ना बजरंगी के जरिए पश्चिम में बनी थी मुख्तार की पकड़
बागपत जेल में मारा गया मुन्ना बजरंगी की मुख्तार अंसारी गैंग में नंबर दो की हैसियत थी। मुन्ना बजरंगी के संबंध पश्चिम यूपी के बदमाशों से रहे हैं। मुन्ना बजरंगी जितना पूरब में सक्रिय रहा उतना ही पश्चिम में भी सक्रिय रहा। 1990 में वह सतवीर गुर्जर गैंग के साथ रहा था।

जिसमें सतवीर और महेंद्र फौजी के बीच हुई गैंगवार में कई बदमाश मारे गए थे। कहा तो यहां तक जाता है कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या पूरब और पश्चिम यूपी के गैंगों के गठजोड़ का नतीजा है।

पूर्व डीजीपी ब्रजलाल बताते हैं कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे गैंगों का गठजोड़ हो सकता है।