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वेस्ट यूपी में भी बजता था मुन्ना बजरंगी का डंका, इन जिलों में काटी थी 2 साल तक फरारी

मेरठ में भी काटी थी मुन्ना बजरंगी ने फरारी।

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मेरठ

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Rahul Chauhan

Jul 11, 2018

munna bajrangi

Munna Bajrangi Murder: वेस्‍ट यूपी के इन कुख्‍यातों के साथ मिलकर मुन्‍ना बजरंगी पहुंचा था नोएडा

मेरठ। अपराध की दुनिया में मुन्ना बजरंगी बड़ा नाम था। पूरब हो या पश्चिम, मुंबई हो या बिहार हर जगह मुन्ना बजरंगी का खौफ था। अपराध जगत से जुड़े लोगों का वेस्ट यूपी से कोई न कोई कनेक्शन जरूर रहता है। मुन्ना का भी पश्चिमी उप्र के अपराध जगत से पुराना नाता रहा है। मुन्ना बजरंगी ने दो साल यानी 1996 से लेकर 1998 तक पश्चिम उप्र के कई शहरों में फरारी काटी थी। इस दौरान उसने अपना नेटवर्क भी यहां पर खड़ा कर लिया था। मेरठ भी उनमें से एक था। मुन्ना बजरंगी का नेटवर्क मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, सहारनपुर के अलावा उत्तराखंड के हरिद्वार और देहरादून में भी था। वर्ष 1996 से लेकर 1998 तक मुन्ना ने पश्चिमी यूपी के कई जिलों में अपना प्रभाव बनाया था।

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पुलिस दबिश में भाग निकला था मुन्ना
1998 में मेरठ के एक गांव में मुन्ना बजरंगी की लोकेशन पुलिस की खुफिया टीम और एसटीएफ को लगी थी, जिस पर उस गांव में छापा मारा गया था। लेकिन उससे पहले ही मुन्ना बजरंगी वहां से फरार हो गया था। पश्चिमी यूपी में अपनी पकड़ बनाने के कारण उसकी इस क्षेत्र के कई बड़े बदमाशों से दुश्मनी हो गई थी। सुशील मूंछ से मुन्ना का 36 का आंकड़ा था। पश्चिमी यूपी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए उसने गाजियाबाद में एक अपराधी के भाई को भी गोलियों से भून दिया था।

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मेरठ जेल में लग्जरी गाड़ियों से मिलने पहुंचे थे सफेदपोश
एक साल पहले जब मुन्ना बजरंगी को जब मेरठ जेल में रखा गया था। उस समय उससे मिलने के लिए जेल के बाहर लग्जरी गाड़ियों की लाइन लगी थी। मुन्ना बजरंगी ने जेल के बाहर ही पुलिस वाहन में इन लोगों से मुलाकात की थी।

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सुशील मूंछ का दाहिना हाथ है सुनील राठी
सोहरका डबल मर्डर केस के बाद सुशील मूंछ का नाम फिर से चर्चा में आया था। दरअसल सुशील मूंछ के पूरब के कई माफियाओं से अच्छे संबंध हैं। बताया जाता है कि इनमें मुन्ना बजरंगी के विरोधी भी हैं। जिन्होंने सुशील मूंछ को मुन्ना बजरंगी के लिए प्रयोग किया। सुशील मूंछ ने अपने राइट हैंड सुनील राठी को इस काम के खात्मे की कमान सौंपी। कुख्यात सुनील राठी को सामने कर मुन्ना बजरंगी को रास्ते से हटा दिया गया। दोनों ही गिरोहों का काम चूंकि रंगदारी वसूलने का है इसलिए राठी को इस काम के लिए तैयार किया गया।