
Navratri 2018: नौ दिन मां की एेसे करें पूजा आैर एेसे रखें व्रत
मेरठ।Navratri 2018 का शुभारंभ 10 अक्टूबर से शुभारंभ हो रहा है। कलश स्थापना के साथ ही देवीभक्त पहला व्रत रखेंगे। 18 अक्टूबर को नवरात्रि पारण होगा। 19 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। navratri 2018 के अवसर पर मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन सभी नौ दिनों के लिए श्रद्धालु मां को प्रसन्न करने के लिए वैसे ही कपड़े पहनकर व्रत आैर पूजा करते हैं। श्रद्धालु ये रंग देवी के रूपों के हिसाब से नौ दिनों में हरा, नीला, लाल, नारंगी, पीला, नीला, गुलाबी, बैंगनी आैर सुनहरा रंग पंसद होने के कारण पहनते हैं। शरदीय नवरात्र कई मायने में इस बार बहुत शुभ माने जा रहे हैं। पहले तो यह बुधवार को लग रहे हैं। बुध को खुशहाली और संपन्नता का कारक माना जाता है। दूसरा इस बार देवी मां नाव पर सवार होकर आ रही हैं। उत्तर दिशा की ओर से आने के कारण यह माना जा रहा है कि आने वाला समय देश और राज्य के लिए काफी शुभ है। ऐसा कहना पंडित कमलेश्वर का।
पहले नवरात्र पर व्रत आैर कलश स्थापना
पंडित कमलेश्वर के मुताबिक इस साल कलश स्थापित करने का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 26 मिनट तक है। दोपहर में अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इस दौरान नवरात्र पूजन के लिए कलश स्थापित किया जा सकता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष सुबह 7 बजकर 26 मिनट तक ही प्रतिपदा तिथि है। सबसे उत्तम समय प्रातः 7 बजकर 26 मिनट तक है। इस साल 10 अक्टूबर को बुधवार को सूर्योदय बाद 2 घड़ी 18 पल तक ही प्रतिपदा तिथि है। फिर भी शास्त्रों के नियमानुसार सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा होने से इसी दिन नवरात्र आरंभ हो रहा है।
नौ दिनों में मां दुर्गा के सभी 9 रूपों में होती पूजा
10 अक्टूबर, बुधवार- कलश स्थापना, मां शैलपुत्री मां
11 अक्टूबर, गुरुवार- ब्रह्मचारिणी पूजा
12 अक्टूबर, शुक्रवार- मां चंद्रघंटा पूजा
13 अक्टूबर, शनिवार- मां कूष्मांडा पूजा
14 अक्टूबर, रविवार- मां स्कंदमाता पूजा
15 अक्टूबर, सोमवार- मां कात्यायनी पूजा
16 अक्टूबर, मंगलवार- मां कालरात्रि पूजा
17 अक्टूबर, बुधवार- मां महागौरी पूजा, दुर्गाअष्टमी
18 अक्टूबर, गुरुवार- सिद्धिदात्री, नवरात्रि पारण
ऐसे करें कलश स्थापना आैर पूजा
नवरात्र में कलश स्थापित करने वाले को सबसे पहले पवित्र होने के बाद देवी मंत्र का जाप करें। मंत्र से स्वयं को और पूजन सामग्रियों को पवित्र कर लेना चाहिए। इसके बाद दाएं हाथ में अक्षत, फूल और जल लेकर दुर्गा पूजन का संकल्प करना चाहिए। माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने कलश मिट्टी के ऊपर रखकर हाथ में अक्षत, फूल, और गंगाजल लेकर वरुण देवता का आह्वान करना चाहिए। कलश में सर्वऔषधी एवं पंचरत्न डालें। कलश के नीचे रखी मिट्टी में सप्तधान्य और सप्तमृतिका मिलाएं। आम के पत्ते कलश में डालें। कलश के ऊपर एक पात्र में अनाज भरकर इसके ऊपर एक दीप जलाएं। कलश में पंचपल्लव डालें इसके ऊपर लाल वस्त्र लपेटकर एक पानी वाला नारियल रखें। कलश के नीचे मिट्टी में जौ के दानें फैलाएं। देवी का ध्यान करें। इसके बाद नौ दिन तक देवी की पूजा करें आैर व्रत रखकर उसका नियमानुसार पालन करें।
Published on:
08 Oct 2018 05:12 pm
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