
एनसीआरटीसी किसानों के लिए बनाएंगा दुहाई डिपो में मॉडर्न फ़ार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन सेंटर
NCRTC रैपिड को रफ्तार देने के साथ ही किसानों को आधुनिक कृषि के नए तरीके भी सिखाएगा। इसके लिए दुहाई डिपो में मॉडर्न फार्मिक डेर्मोस्ट्रेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी। इसके लिए एनसीआरटीसी ने टैंडर जारी किए हैं। इस टेंडर के तहत चयनित एजेंसी द्वारा दुहाई डिपो की ज़मीन पर मॉडर्न फ़ार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन हेतु पोली हाउस बनाए जाएंगे, जिनमें हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पर आधारित खेती की जानकारी प्रदान की जाएगी। इस नयी तकनीक की जानकारी किसानों से साझा करने का उद्देश्य फसलों की गुणवत्ता को बेहतर करना तो है ही, साथ ही सरकार की नीति के अंतर्गत किसानों की आय में बढ़ोतरी करना भी है।
NCRTC का उद्देश्य हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को किसानों तक पहुंचाना
एनसीआरटीसी का उद्देश्य हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को किसानों तक पहुंचाना तथा उन्हें इसके बारे में जागरूक करना है। एनसीआरटीसी किसानों को भविष्य की खेती के लिए तैयार करने, उनकी क्षमता विकसित करने और कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले चरण में गाजियाबाद और मेरठ जिले के भूड़ बराल, कादराबाद, नंगला मूसा, असालत नगर, काकरा, शाहपुर, सारा, कनौजा, सिकरिखुर्द आदि गांव में सैकड़ों किसानों को अब तक प्रशिक्षित किया जा चुका है।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस के कार्यान्वयन से दूरदराज के क्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ेंगे जिससे पूरे कॉरिडोर में क्षेत्रीय गतिशीलता में सुधार होगा। इससे पूरे कॉरिडोर में शहरीकरण को और गति मिलेगी। किसान आमतौर पर पारंपरिक खेती के तरीके अपनाते हैं, जिससे प्रति इकाई क्षेत्र में कम रिटर्न मिलता है। हालांकि, आगामी शहरी विकास के साथ, खेती के लिए उपलब्ध भूमि काफी कम हो जाएगी और बदली हुई जनसांख्यिकी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिक उत्पादन करने का दबाव तेजी से बढ़ जाएगा।
एनसीआरटीसी ने इस बदलते परिदृश्य और इस क्षेत्र के किसानों की आवश्यकताओं को समझा और उन्हें आधुनिक, उच्च उपज वाली शहरी कृषि तकनीकों में प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया, जो प्रति यूनिट भूमि पर उच्च रिटर्न दे सकती है।
पॉलीहाउस खेती, ड्रिप सिंचाई खेती, रीट्रैक्टेबल ग्रीनहाउस खेती, हाइड्रोपोनिक्स इत्यादि जैसी आधुनिक कृषि पद्धतियां पर्यावरण और सामाजिक रूप से सतत होने के साथ साथ शहरी फ़ार्मिंग तकनीक हैं । इसके अलावा, पारंपरिक कृषि तकनीकों के विपरीत, इन्हें कम पानी की जरूरत पड़ती है, ये मौसम की स्थिति पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हैं जो फसलों पर प्रतिकूल मौसम के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, इन आधुनिक कृषि तकनीकों में तुलनात्मक रूप से कम शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है। इससे महिलाओं की भागीदारी और आसान हो जाती है और उन्हें अपनी आय में बढ़ोतरी का एक विकल्प प्राप्त होता है जो महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।
इस क्षेत्र में पोषक तत्वों से भरपूर और जैविक उपज की बढ़ती मांग किसानों के लिए अपनी गुणवत्तापूर्ण उपज बेचकर अपनी आजीविका में सुधार करने का अवसर पैदा करती है। एनसीआरटीसी का लक्ष्य इस कार्यक्रम के माध्यम से कॉरिडोर के आस-पास रहने वाले परिवारों को इन नवीन कृषि समाधानों के बारे में शिक्षित और कुशल बनाना है।
यह पहल इन अवसरों को अपनाने वाले पारंपरिक किसानों की आय और निरंतर आजीविका में सुधार करेगी। यह एनसीआर के नागरिकों द्वारा स्वस्थ और टिकाऊ कृषि उपज की खपत को भी बढ़ावा देगा।
पहले चरण में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ के आरआरटीएस कारिडोर के 50 गांव के किसान चिहिंत
प्रशिक्षण कार्यक्रमों की इस श्रृंखला के पहले चरण में, दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के किनारे स्थित 50 से ज्यादा गांवों में रहने वाले लगभग 1500 किसानों के लिए 100 से अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। इससे किसानों को इन आधुनिक कृषि तकनीकों को सीखकर अपने कौशल को बढ़ाने और अपनी कमाई बढ़ाने का अवसर मिलेगा। एनसीआरटीसी की यह पहल निस्संदेह समुदाय की आजीविका और समग्र कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी, जो रैपिडएक्स सेवाओं के साथ मिलकर क्षेत्र के व्यापक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
Published on:
05 Oct 2023 12:23 pm
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