
self defense
शहर-देहात में छात्राएं अब न सिर्फ निर्भिक होकर चलने लगी है, बल्कि फब्तियां कसने, सिटी बजाने या छेड़छाड़ का कुत्सित प्रयास करने वाले बदमाशों को मुंहतोड़ जवाब भी मिल रहा है। जो स्कूल-कॉलेज की छात्राएं- युवतियां सड़क पर बदमाश प्रवृत्ति के युवकों को देख सिर झुकाकर व बिन बोले सरपट निकल जाती थी, वहीं लड़कियां जिस राह से गुजरती है, उस रास्ते पर खड़े कतिपय बदमाश पहले ही हट जाते हैं।
यह बदलाव स्कूल-कॉलेजों में अध्ययनरत छात्राओं के आत्मरक्षा के गुर सीखने के बाद सामने आए हैं। हर सरकारी व निजी स्कूल-कॉलेज की छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने के लिए चार महिला कांस्टेबलों को प्रशिक्षक के तौर तैयार किया। इससे कई हद तक छात्राएं आत्मरक्षा के लिए स्वावलंबी बनी है, जिसका राजसमंद, नाथद्वारा व आमेट शहरी इलाके में प्रत्यक्ष तौर पर कई पे्ररणास्पद वाकये सामने आए हैं। साथ ही जिला पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक भी छेड़छाड़ की घटनाओं में काफी कमी दर्ज की गई है।
छेड़छाड़ में 33 फीसदी गिरावट
राजसमंद, नाथद्वारा, आमेट के साथ ही जिलेभर के पुलिस थानों में एक साल में ही 33 फीसदी छेड़छाड़ की वारदातों में गिरावट आई है। गत वर्ष 2015 में 6 0 प्रकरण हुए थे, जबकि इस बार पुलिस थानों में महज 40 मामले दर्ज हुए हैं।
ये सीखे थे आत्मरक्षा के गुर
पंच, किक, ब्लॉक के साथ ही बचाव व मुकाबले के लिए कई तरह के गुर सिखाए गए। जिला पुलिस के कमांडो सुनीता चौधरी, सरोज जटिया, पुष्पा मेघवाल, प्रियंका वर्मा ने अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर में प्रशिक्षित किया है।
सीखने में है उत्सुकता
स्कूल-कॉलेज में हर छात्रा आत्मरक्षा के गुर सीखना चाहती है। जहां भी शिविर लगे, वहां छात्राओं ने बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया।
नीता चौधरी, प्रशिक्षक जिला पुलिस राजसमंद
आया सकारात्मक बदलाव
आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के बाद छात्राओं में वाकई सकारात्मक बदलाव आए हैं। शहर कई जगह सरेराह मनचलों की धुनाई के किस्से भी आए और पुलिस थानों में छेड़छाड़ के प्रकरणों में गिरावट आना भी शांति का ही प्रतीक है।
डॉ. विष्णुकांत, जिला पुलिस अधीक्षक राजसमंद
Published on:
10 Oct 2016 05:25 pm
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