
मेरठ। दिवाली पर मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए तैयारियां तेज हो गई हैैं। परंपरागत पूजन के साथ पौराणिक कहानियों की आड़ में अंधविश्वास भी बरकरार है। उन्हीं में एक है उल्लू पूजन की परंपरा। इसी के चलते एकाएक उल्लुओं की डिमांड बढ़ गई है। शिकारी जंगल में उन्हें पकडऩे के लिए मंडरा रहे हैैं। यही कारण है कि उल्लू पर संकट देख वन विभाग को अलर्ट जारी करना पड़ा है। रेंजर्स को लगातार गश्त करने के निर्देश दिए गए हैैं।
मेरठ में वन विभाग की टीम जिले में भ्रमण पर निकली है। टीम सुनील कुमार शर्मा वन निरीक्षक के नेतृत्व में चेकिंग अभियान चला रही है। दिवाली समेत तमाम पर्व सात्विक पूजन विधि से मनाए जाते हैं। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि देवी भागवत और श्री सूक्त जैसे धार्मिक ग्रंथों में मां लक्ष्मी का वाहन हाथी को बताया गया। इनमें कई जगह हाथी की आवाज से मां लक्ष्मी की प्रसन्नता का जिक्र है। उल्लू का जिक्र पुराणों में कहीं नहीं मिलता है।
वन निरीक्षक सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि महानगरों में दिवाली के दौरान उल्लू की मांग होती है। ऐसे में मेरठ के जंगलों से उल्लुओं की तस्करी रोकने के लिए वन रेंजर्स को अलर्ट किया है। समय-समय पर पूरे इलाके की गश्त लेने के आदेश दिए हैं। इस समय उल्लू और तोता दोनों ही प्रतिबंधित जीव की श्रेणी में आते है। इसलिए अभी पूरे जिलों में ये अभियान चलाया जा रहा है। मेरठ में ये अभियान सोती गंज, घंटाघर, कंकरखेड़ा के अलावा देहात के इलाके में चलाया जा रहा है।
Updated on:
26 Oct 2019 03:03 pm
Published on:
26 Oct 2019 02:58 pm
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