
मेरठ।CAA के विरोध में पिछले साल 20 दिसंबर को मेरठ (Meerut) समेत वेस्ट यूपी (West UP) में भड़की हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की भूमिका मानते हुए पुलिस (Police) ने अपना शिकंजा कस दिया है। अभी तक मेरठ में पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार किया है। ईडी (ED) और एटीएस (ATS) भी पीएफआई की कुंडली खंगालने में जुट गई है। पीएफआई के अभी 40 और ऐसे सदस्य हैं, जो कड़ी निगरानी में हैं। इन पर सीएए के विरोध के चलते हिंसा कराने के लिए फंडिंग करने, हथियार की ट्रेनिंग देने के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर बैठकें करके लोगों की भीड़ एकत्र करने को लेकर सुरक्षा एजेंसियों व पुलिस के निशाने पर हैं।
मेरठ समेत वेस्ट यूपी में सीएए के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों को पकडऩे के लिए पुलिस धीमी गति से अपनी कार्रवाई कर रही थी, लेकिन जब प्रवर्तन निदेशालय ने खुलासा किया कि हिंसा कराने के लिए मेरठ में करोड़ों रुपये की फंडिंग हुई है, तो हड़कंप मच गया। प्रवर्तन निदेशालय और एटीएस की टीमें मेरठ में हैं और पीएफआई की कुंडली खंगालने में जुटी हुई है। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि वेस्ट यूपी के जनपदों में पीएफआई की गहरी जड़ें फैली हैं। इनमें मेरठ में बड़ी हिंसा कराने के लिए पीएफआई ने अपने सदस्यों को छोड़ रखा था। दिल्ली से करीब 20 लोगों को मेरठ में भेजा गया। लिसाड़ीगेट इलाके में लोगों को उकसाने के लिये पहले मीटिंग की और फिर उनको पैसा दिया गया। हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई। कई लोगों के खाते में पैसा भेजने को लेकर भी बैंकों द्वारा जांच चल रही है। ऐसे करीब 40 लोग सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस के रडार पर हैं।
पुलिस के अनुसार पीएफआई के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों ने काफी सुबूत जुटा लिए हैं। तीन संगठन भी पीएफआई से जुड़े थे। पुलिस को सिर्फ बैंकों की रिपोर्ट का इंतजार है। बैंकों से पता चलेगा कि आखिर कितने करोड़ में मेरठ की हिंसा की पीएफआई ने की थी। आईजी प्रवीण कुमार का कहना कि पीएफआई ने हिंसा करने के लिए पूरी प्लानिंग की थी। पुलिस ये साजिश रचने वालों को पकडऩे के लिए प्रयासरत है। सारी साजिश दिल्ली में बैठकर की गई। वहीं से इसकी फंडिंग हुई।
Published on:
05 Feb 2020 03:17 pm
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