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Chehlum 2020: चेहलुम पर टूटी 100 साल पुरानी परंपरा, जानिये पूरा मामला

Highlights: -अब्दुल्लापुर में भारी पुलिस बल तैनात-इस बार नहीं निकला चेहलुम पर जुलूस-घर पर ही किया गया मातम और मजलिस

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मेरठ

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Rahul Chauhan

Oct 09, 2020

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मेरठ। जिले के अब्दुल्लापुर में इस बार चेहलुम पर 100 साल पुरानी परंपरा टूट गई। पुलिस की चुस्ती के कारण चेहलुम पर जुलूस नहीं निकाला जा सका। हालांकि जुलूस निकालने की पूरी तैयारियां कर ली गई थी। लेकिन प्रशासन ने इसकी कोई अनुमति प्रदान नहीं की। प्रशासन को अंदेशा था कि लोग चेहलुम पर चोरी छिपे जुलूस निकाल सकते हैं। इसलिए अब्दुल्ला पुर में पुलिस फोर्स तैनात कर दिया। गली—गली में तैनात फोर्स के कारण चेहलुम पर जुलूस नहीं निकाला जा सका। जिससे 100 साल पुरानी परंपरा टूट गई।

बता दें कि चेहलुम के मौके पर अब्दुल्लापुर में पिछले सैकड़ों साल से जुलूस निकालकर इमाम हुसैन की याद में ताजियादारी मातमदारी की जाती है। इस जुलूस में हजारों लोग शामिल होते हैं। लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते प्रशासन द्वारा जुलूस ए अजा की परमिशन नहीं दी गई। लोगों ने अपने घर पर मजलिस मातम बरपा किया और पुलिस प्रशासन का पूरी तरह से साथ दिया।

मैदाने कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन उनके 71 अनुयायियों की शहादत के चालीस दिन बाद चेहल्लुम मनाया जाता है। इस दिन मेरठ के कई इलाकों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अब्दुल्ला पुर से दिन में 11 बजे दुलदुल जुलूस निकाला जाता है। दुलदुल इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक है। साथ ही ताबूत अलम जुलूस भी निकलता है। जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं और मातम पुरसी करते हैं।