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जिस सीट ने मंत्री बनाया, उसी को श्रापित कहने पर बवाल, दिनेश खटीक की बढ़ीं मुश्किलें

योगी सरकार में जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने हस्तिनापुर विधानसभा सीट को श्रापित बताते हुए 2027 में यहां से चुनाव न लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने द्रौपदी के श्राप का जिक्र किया और क्षेत्र में विकास न होने की बात कही।

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मेरठ

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Anuj Singh

Dec 26, 2025

दिनेश खटीक का हस्तिनापुर सीट छोड़ने का ऐलान

दिनेश खटीक का हस्तिनापुर सीट छोड़ने का ऐलान Source- X

UP Politics: यूपी में 2026 में पंचायत चुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन अभी से ही यूपी में कई मुद्दो को लेकर सियासी तूफान मचा हुआ है। वहीं अब एक नया मामला योगी एक मंत्री द्वारा दिए गए बयान के बाद गरमा गया है। जिस सीट से मंत्री जी दो बार चुनाव जीत चुके हैं, उसी सीट को श्रापित बताते हुए, अब चुनाव नहीं लड़ने की बात कह रहे हैं। योगी सरकार में जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वह हस्तिनापुर विधानसभा सीट से तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह घोषणा 25 दिसंबर 2025 को मेरठ के एक कार्यक्रम में की गई। दिनेश खटीक ने इस सीट को 'श्रापित' बताया और महाभारत काल की द्रौपदी के श्राप से जोड़ा। उनका यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

श्राप की बात क्यों बोले मंत्री?

दिनेश खटीक ने मंच से कहा कि हस्तिनापुर की भूमि पर द्रौपदी का श्राप है। पुराण और भागवत पढ़ने के बाद उनके मन में यह बात आई कि यहां से कोई दूसरी बार विधायक नहीं बन पाता। हालांकि, उन्होंने 2017 और 2022 में जीतकर यह मिथक तोड़ा। अब वे बोले, "मेरी अंतरात्मा कहती है कि तीसरी बार श्रापित भूमि से विधायक नहीं बनना।" उन्होंने क्षेत्र में 9 सालों में रोजगार और विकास न आने की भी शिकायत की। युवाओं को मजबूरी में काम करना पड़ रहा है।

राजनीतिक सफर की झलक

दिनेश खटीक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं। उनका परिवार भी संघ से जुड़ा है। BJP ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित नेतृत्व को मजबूत करने की रणनीति में उन्हें आगे बढ़ाया। 2017 में पहली बार हस्तिनापुर से विधायक बने और मंत्री भी। 2022 में फिर जीते, लेकिन कम अंतर से। उस समय उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी भी दी थी, जो भावनात्मक बताकर टाल दी गई। अब यह नया ऐलान उनकी राजनीतिक यात्रा में बदलाव का संकेत दे रहा है।

राजनीतिक जानकारों का क्या कहना?

यह घोषणा 2027 के विधानसभा चुनाव से दूर और पंचायत चुनाव से पहले आई है। राजनीतिक जानकार इसे सामान्य नहीं मानते। कुछ का मानना है कि यह वोट बैंक और सामाजिक समीकरणों से जुड़ा है। दिनेश खटीक ने कहा कि पार्टी जहां से कहेगी, वहां से लड़ेंगे। लेकिन हस्तिनापुर छोड़ने की बात से नई रणनीति की चर्चा शुरू हो गई है। जानकारों का कहना है कि यह बयान भाजपा के लिए भी चुनौती बन सकता है, क्योंकि हस्तिनापुर अनुसूचित जाति की आरक्षित सीट है। दिनेश खटीक दलित चेहरे के रूप में महत्वपूर्ण हैं। अब देखना यह है कि पार्टी उनका अगला कदम क्या तय करती है।