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निजीकरण की तलवार के गुस्से में अफसरों आैर कर्मचारियों ने इतना काम किया, यूपी में हो गए नंबर वन!

पीवीवीएनएल मेरठ ने उत्तर प्रदेश में की रिकार्डतोड़ राजस्व वसूली, सबको पीछे छोड़ दिया  

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मेरठ। यह पहला मौका नहीं है जब मेरठ समेत अन्य जनपदों में विद्युत वितरण व्यवस्था निजी हाथों में दिए जाने का फरमान जारी हुआ हो। इसलिए बिजली विभाग के अफसरों आैर कर्मचारियों पर निजीकरण की तलवार पिछले सात-आठ से लटकती आयी है। करीब 20 दिन पहले पांच जनपदों मेरठ, लखनउ, गोरखपुर, बनारस आैर मुरादाबाद की बिजली व्यवस्था निजी हाथों में दिए जाने के कड़े निर्देश यूपी कारपोरेशन के जरिए यूपी सरकार ने जारी किए थे। इस पर विभाग के अफसरों आैर कर्मचारियों ने जबरदस्त विरोध किया। इसके चलते निजीकरण का लिखित समझौता होने के बाद अब यूपी में बिजली वितरण का कहीं भी निजीकरण नहीं किया जाएगा। निजीकरण की तलवार लटके होने के बावजूद पीवीवीएनएल (पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड) के अफसरों, इंजीनियरों आैर कर्मचारियों ने गुस्से में इतना ज्यादा काम कर डाला कि उत्तर प्रदेश में सबको आइना दिखा दिया।

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राजस्व वसूली में यूपी में नंबर वन

पीवीवीएनएल मेरठ के अंतर्गत राजस्व वसूली में डिस्काम ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 12, 870 करोड़ की राजस्व वसूली की गर्इ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1810 करोड़ रुपये अधिक है। यह तब है जब इस वर्ष एकमुश्त समाधान योजना भी नहीं थी। समझ सकते हैं कि अगर आेटीएस होती तो यह वसूली कितनी ज्यादा बढ़ जाती। पिछले साल के मुकाबले 1810 करोड़ रुपये की ज्यादा राजस्व वसूली के बाद पीवीवीएनएल के एमडी आशुतोष निरंजन ने विभागीय अफसरों को बधार्इ दी आैर इससे ज्यादा लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित किया। एमडी आशुतोष निरंजन का कहना है कि डिस्काम की राजस्व वसूली ने रिकार्ड उपलब्धि का कीर्तिमान बनाया है आैर पश्चिमांचल डिस्काम ने राजस्व वसूली में प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

इन जनपदों से राजस्व वसूली

पीवीवीएनएल के अंतर्गत 14 जनपद मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलन्दशहर, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, बिजनौर, सम्भल, रामपुर एवं अमरोहा आते हैं। सभी जनपदों से पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले बेहतर राजस्व वसूली हुर्इ है। इनमें बिजली बिल का बकाया, वर्तमान बिल की वसूली, बिजली चोरी रोकना व जुर्माना आैर नए मीटरों को लगाने का काम हुआ। बिजली वितरण व्यवस्था की तलवार पीवीवीएनएल के अफसरों, स्टाफ व संविदा कर्मचारियों पर लगातार लटकी रही है। इसके बावजूद राजस्व वसूली में करोड़ों की वृद्धि करने के बाद यूपी में वसूली में नंबर वन बनने पर पीवीवीएनएल के स्टाफ ने निजीकरण के बारे में सोचने वालों को आइना दिखा दिया।

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