
मेरठ. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में 5 सितंबर को होने वाली महापंचायत में किसानों (Kisan Mahapanchayat in Muzaffarnagar) को शामिल करने के लिए सोशल मीडिया (Social Media) का भी सहारा लिया जा रहा है। इसके लिए फेसबुक (facebook),ट्विटर (Twitter) और व्हाट्सएप (Whatsapp) ग्रुपों पर महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) की सफलता के लिए मुहिम चल रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसान नेता इस महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में शामिल होने के लिए किसानों से अपील कर रहे हैं।
फेसबुक पर वीडियो जारी कर की अपील
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले यह महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) होनी है। संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता गुरनाम चढूनी ने भी अपने फेसबुक अकाउंट से वीडियो से जारी करके किसानों से इस महापंचायत में शामिल होने की अपील की है। इन नेताओं का कहना है कि आंदोलन का मकसद किसान हित में फैसले करवाना है।
व्हाट्सएप पर भेजे जा रहे हैं मैसेज
भाकियू के मीडिया प्रभारी धमेंद्र टिकैत ने बताया कि गांवों में पदाधिकारियों को व्हाट्सएप ग्रुप बनाने को कहा गया है। जिसमें गांव के किसानों को जोड़ा गया है। इसके जरिए किसानों को महापंचायत में पहुंचने के लिए मैसेज भेजे जा रहे हैं। किस समय कहां बस मिलेगी और कब पहुंचना है ये सब व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए बताया जा रहा है। वहीं दूसरे जिलों और राज्यों के किसानों को भी फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से सरकार की नीतियों के बारे में बताकर जागरूक किया जा रहा है। दूसरे राज्यों से भी अधिक से अधिक किसानों के आने की पूरी संभावना है।
महापंचायत में रखी जाएगी विधानसभा चुनाव की नींव
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले कई महीने से चल रहे आंदोलन के बीच अब 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महांपचायत पर सबकी नजर टिकी हुई है। किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) की सफलता या असफलता ही मिशन उत्तर प्रदेश की रणनीति तय करेगी। बताया जा रहा है कि इसी महापंचायत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की नींव भी रखी जाएगी। इस महापंचायत में दूसरे राज्यों से भी किसानों की भागीदारी होगी। भाकियू का दावा है कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड के किसान भी इस महापंचायत में शामिल होंगे।
दस महीनों से चल कर रहा है किसान आंदोलन
किसान आंदोलन को नौ माह पूरे हो चुके हैं। अब यह दसवें महीने में प्रवेश कर गया है। 26 नवंबर 2020 से आंदोलन शुरू हुआ और 27 को आंदोलनकारियों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल दिया था। यह आंदोलन इतना लंबा चलेगा, तब किसी को इसका अनुमान नहीं था। मगर अब जो हालात है, उससे हर किसी के लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि यह आंदोलन कब खत्म होगा। अभी तो बातचीत को लेकर जो गतिरोध बना हुआ है, वह टूटता नहीं दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा राष्ट्रीय किसान मोर्चा भी इस महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में शमिल होगा।
BY: KP Tripathi
Published on:
27 Aug 2021 03:39 pm
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