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मेरठ

VIDEO: ‘अध्यात्मिक लोकतंत्र से हो सकती है शांति की स्थापना’

Highlights पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्वाण दिवस पर कार्यक्रम  

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मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्वाण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने पंडित दीन दयाल द्वारा राजनीतिक व्यवस्था पर कही गई बातों पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि पंडित दीन दयाल की सबसे महत्वपूर्ण बात राजनीतिक व्यवस्था से थी। वह कहते थे कि भारत का समाज राज्य आधारित नहीं है। वह संस्कृति आधारित है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के निदेशक और राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. पवन शर्मा ने दीन दयाल के चिंतन और जीवन दर्शन को बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आजादी से पहले गांधीजी ने सामाजिक व्यवहार को प्रभावित किया। वही काम आजादी के बाद पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने अपनी रचनाओं से किया। वे मानते थे कि अध्यात्मिक लोकतंत्र से शांति स्थापित हो सकती है। लखनऊ विश्वविद्यालय से आए प्रो. आरके मिश्र ने कहा कि दीन दयाल उपाध्याय का एकात्म मानवतावाद का सिद्धांत भारतीय धर्ममूलक समाज पर आधारित है। वे मतदान, पार्टी केंद्रित व्यवस्था का विरोध करते थे। प्रफुल्ल केतकर ने अपने विचार रखे। कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय धर्म, कर्म, अर्थ, मोक्ष को पाने के लक्ष्य को एकात्म मानववाद के अंतर्गत रखते थे।