
Rapid rail News: रैपिड रेल ब्रेक्रिंग सिस्टम से पैदा होगी 7500 वोल्ट बिजली, इमारतों भी लगेगे सौर ऊर्जा पैनल
Regional Rapid Transit System दिल्ली—गाजियाबाद—मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Regional Rapid Transit System) के प्रथम कारिडोर में बिजली की खपत कम करने और बिजली पैदा करने के कई उपायों पर भी काम किया जा रहा है। रैपिड रेल रीजेनरेटिव ब्रेक्रिंग सिस्टम के तहत इसके पहिए बिजली पैदा करेगे। ट्रेन में ब्रेक लगने पर उसमें लगे डायनमो गतिज ऊर्जा Kinetic Energy को विद्युत ऊर्जा Electrical Energy में परिवर्तित करेंगे। परिवर्तित विद्युत ऊर्जा पटरी के किनारे लगे ओवरहेड विद्युत लाइन के पैंटोग्राफ के माध्यम से ग्रिड में पहुंच जाएगी।
बता दें कि ट्रेन को चलाने में 25 केवी KV यानी 25 हजार वोल्ट Volt बिजली की जरूरत होती है। जबकि रैपिड रेल की ब्रेकिंग सिस्टम प्रणाली rapid rail braking system इसकी 30 प्रतिशत बिजली उत्पन्न करेगी। यानी रैपिड ट्रेन के ब्रेक से 7500 वोल्ट बिजली बनकर ग्रिड में पहुंच जाएगी। रैपिड रेल के इस ब्रेकिंग सिस्टम braking system से दूसरा फायदा यह होगा कि ट्रेन के पहिये,ब्रेक पैड और ट्रेन rolling stock के उपकरण आदि देर तक चलेंगे। ऐसे में स्पेयर पार्ट्स spare parts की मैन्यूफैक्चरिंग करते समय उत्पन्न होने वाले कार्बन डाइआक्साइड में भी कमी आएगी।
ट्रेन को रोकने पर जब तेजी से ब्रेक लगाने पर एक बल उत्पन्न होता है। इस बल से गर्मी उत्पन्न होती है। जितनी तेजी से चलने वाले वाहन का ब्रेक लगेगा उतनी अधिक गर्मी निकलेगी। यही गर्मी पहियों को भी गर्म कर देती है और यह बेकार हो जाती है। इसी गर्मी को बिजली में परिवर्तित किया जाएगा। इसके लिए एक नई तकनीक विकसित की गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम NCRTC के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स ने जानकारी दी है कि इससे ब्रेक लगने पर पहिए कम गर्म होते हैं और बिजली बनने में भी मदद मिलेगी। ब्रेक लगाने से उत्पन्न ऊर्जा भी नष्ट नहीं होगी। रैपिड रेल कारिडोर rapid rail corridor में उपयोग होने वाली बिजली में 40 प्रतिशत योगदान सौर ऊर्जा का भी रहेगा। रैपिड रेल से संबंधित सभी भवनों पर सौर ऊर्जा प्लांट solar power plant लगाए जाएंगे।
Updated on:
14 Oct 2022 12:52 pm
Published on:
14 Oct 2022 12:12 pm
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