
मेरठ। रविवार को जागृति विहार एक्सटेंशन स्थल पर आरएसएस के राष्ट्रोदय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमें कट्टर होना चाहिए क्योंकि कट्टरपंथी हिंदुत्व अहिंसा के प्रति प्रतिबद्ध है। कट्टर हिन्दुत्व का अर्थ कट्टर सत्य निष्ठा और कट्टर अहिंसा का पालन करने वाला से है। हमारी कट्टरता उदारता के लिए है। उन्होंने कहा कि जब हम कट्टरपंथी बनेंगे तो हम विविधता का और ज्यादा जश्न मनाएंगे। हम हिन्दुआें को एक रहना चाहिए। यह हमारा दायित्व है, हम एक रहें।
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उन्होंने कहा कि हिंदुओं के लिए प्रचीन समय से भारत उनका घर है और दुनिया में उनके लिए कोई दूसरी जगह नहीं है, जहां वे जा सकें। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में आयोजित आरएसएस के स्यवयंसेवक समागम में मोहन भागवत ने कहा कि गर्व से कहो कि तुम हिंदू हो। हम हिंदू हैं तो हमें एकजुट होना होगा क्योंकि देश की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है। प्रचीन समय से यह हमारा घर है। दुनिया में कहीं और जाने के लिए हमारे पास जगह नहीं है। अगर देश के साथ कुछ गलत होता है तो हम जिम्मेदार होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक हिन्दू मेरा सहोदर भार्इ है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रों के उदय आैर अस्त होते रहते हैं। हम सारी विविधताआें का सम्मान करते हैं। हम वासुधैव कुटुम्बकम् को लेकर चलते हैं। राष्ट्र ने सृष्टि के दुष्टों का भार का बोझ उतारा है। प्रजा की सेवा राजा का धर्म है। हमने कमाया कितना यह नहीं देखते, हमने बांटा कितना यह देखते हैं। राष्ट्र ने सृष्टि से दुष्टों के भार का बोझ उतारा है। प्रजा की सेवा राजा का धर्म है। हमने कमाया कितना यह नहीं देखते, हमने बांटा कितना यह देखते हैं। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दो हजार सालों से दुनिया ने प्रयत्न कर लिए, लेकिन किसी को शांति नहीं मिली।
भारत के पास एक रास्ता धर्म का है, जाे सभी को सुखी कर सकता है। इस धर्म को सबको देने के लिए भारत को तैयार रहना है। भारत का सारा समाज एकजुट हो। कुछ शक्तियाें के विरुद्ध हम सबको एक होना है। समाज के लिए योग्य होकर काम करें आैर सहयोगी कार्यकर्ताआें के रूप में काम करें। सम्पूर्ण समाज को आरएसएस बनना होगा।
मोहन भागवत के भाषण के मुख्य बिंदु
1- भारत माता को अपनी माता मानने वाला हिन्दू है।
2- 1 लाख 70 हजार से ज्यादा स्वयंसेवक सेवा कार्य कर रहे हैं।
3- कार्यक्रम शक्ति प्रदर्शन करने के लिए नहीं करते, क्योंकि शक्ति होती है तो उसे दिखाने की जरूरत नहीं होती।
4- संपूर्ण समाज को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ना पड़ेगा, तभी समाज का उत्थान हो सकेगा।
5- जब कभी देश पर संकट आता है तो स्वयंसेवक वहां पहुंचते हैं और प्राणों की चिंता किए बिना राष्ट्र के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देते हैं।
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अनुशासन का दिखा अलग नजारा
इतनी भीड़ यदि किसी अन्य कार्यक्रम में होती, तो इस भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता, लेकिन आरएसएस का अनुशासन देखकर इससे हर कोर्इ जिन्दगी भर के लिए सीख ले सकता है। मेरठ की रैलियों या अन्य कार्यक्रमों में 25 हजार की भीड़ ही प्रशासन आैर पुलिस के लिए सिरदर्द बन जाती है, लेकिन आरएसएस के कार्यकर्ताआेेें ने अनुशासन का शहर में नया अध्याय जोड़ा है।
Updated on:
26 Feb 2018 09:47 pm
Published on:
25 Feb 2018 05:30 pm
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