
मेरठ। जागृति विहार एक्सटेंशन स्थल पर आरएसएस के राष्ट्रोदय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दुआें को एक होना है। हम जात-पात में बंटकर भूल जाते हैं आैर लड़ार्इ करते रहते हैं। हम हिन्दुआें को एक रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक हिन्दू मेरा सहोदर भार्इ है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राष्ट्र के उदय आैर अस्त होते रहते हैं। हम सारी विविधताआें का सम्मान करते हैं। हम वासुदेव कुटुम्बकम को लेकर चलते हैं। राष्ट्र ने सृष्टि के दुष्टों का भार का बोझ उतारा है। प्रजा की सेवा राजा का धर्म है। हमने कमाया कितना यह नहीं देखते, हमने बांटा कितना यह देखते हैं। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दो हजार सालों से दुनिया ने प्रयत्न कर लिए, लेकिन किसी को शांति नहीं मिली। भारत के पास एक रास्ता धर्म का है, जाे सभी को सुखी कर सकता है। इस धर्म को सबको देने के लिए भारत को तैयार रहना है। भारत का सारा समाज एकजुट हो। कुछ शक्तियाें के विरुद्ध हम सबको एक होना है। समाज के लिए योग्य होकर काम करें आैर सहयोगी कार्यकर्ताआें के रूप में काम करें। सम्पूर्ण समाज को आरएसएस बनना होगा।
'राष्ट्रोदय' का अर्थ बताया
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मेरठ में 'राष्ट्रोदय' कार्यक्रम का अर्थ भी बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के उदय होते रहते हैं। सभी देश अपनी-अपनी खूबियों से अस्तित्व में आए हैं। हमारा राष्ट्र अमर है। दुनिया में कहीं सम्प्रदाय एक है, लेकिन वह फिर भी एक नहीं है। हिन्दू एक हैं। गर्व से कहो हम हिन्दू हैंं। हिन्दुआें को एक होना है, यह हमारा धर्म है। हमें इसके लिए तैयार होना पड़ेगा। हम जात-पात में बंटकर भूल गए आैर हम लड़ार्इ करते रहते हैं। कोर्इ भी किसी देवी-देवता को माने। उसकी जात कुछ भी हो सकती है, लेकिन वह हिन्दू है आैर हमारा भार्इ है। उन्होंने कहा कि दुनिया अच्छी बातों को तभी मानती है, जिसके पीछे शक्ति हो, डंडा हो।
Updated on:
25 Feb 2018 08:12 pm
Published on:
25 Feb 2018 06:35 pm
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