
मेरठ। मौसम में आए बदलाव से रोजेदार राहत की सांस ले रहे हैं। उनका कहना है कि मौसम की वजह से प्यास नहीं लग रही है। दिनभर भूख-प्यास बर्दाश्त कर रोजेदार अल्लाह की इबादत में लगे हैं। राजेदारों को ऑनलाइन तकरीर देते हुए कारी शफीकुर्रहमान ने बताया कि इस्लाम की बुनियाद पांच चीजें ईमान, नमाज, जकात, रोजा और हज पर टिकी हैं। अल्लाह ने रोजे के बारे में फरमाया है कि ऐ ईमान वालों तुम पर रोजे रखना फर्ज किया गया है। जैसे कि तुम से पहली उम्मतों पर भी फर्ज किया गया था ताकि तुम में तकवे की सिफत पैदा हो। लिहाजा तमाम मुसलमानों पर रमजान-उल-मुबारक के पूरे महीने रोजे रखने का हुक्म दिया गया और जो भी बगैर किसी जायज मजबूरी के रमजान-उल-मुबारक का एक रोजा भी छोड़ दे तो वह गुनहगार होगा। एक रोजेदार खुदा के वास्ते अपनी ख्वाहिशों को कुर्बान करता है इसलिए इस महीने में अल्लाह उनकी दुआएं कुबूल करता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोरोना का कहर बरपा है। इससे निपटने की जिम्मेदारी हम सब की है। लिहाजा, कोरोना जैसे संक्रमण से देश को मुक्ति के लिए सबको मिलकर दुआ करनी चाहिए। घर में ही रहकर अल्लाह की इबादत करें। लॉकडाउन की वजह से मस्जिद के बजाय घर में ही नमाज अदा करने के साथ पवित्र ग्रंथ के दो पारे पढ़ें। उन्होंने कहा कि महीने भर का उपवास का मौसम अल्लाह के परोपकार और आत्म-संयम के माध्यम से विश्वास की पवित्रता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि लॉकडाउन हो रहा है तो ऐसे समय में एक समुदाय के रूप में एकत्र होकर रोजा न खोलें। इसके लिए सोशल डिस्टेंस का पालन करें। एक जगह पर एकत्र होने से बचें। इसके अलावा आपसी सद्भाव के लिए एक-दूसरे का सहयोग करें।
Updated on:
29 Apr 2020 06:23 pm
Published on:
29 Apr 2020 06:20 pm
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