
इस धार्मिक नेता ने कहा- तंग नजर आैर कच्चे दिमाग वाले मुस्लिम नौजवान भटकावे में न आएं, जानिए आैर क्या कही बातें
मेरठ। हर समुदाय में नौजवान तबके की बहुत अहमियत होती है। अपने वक्त का ये तबका ही उस समुदाय की तरक्की का अहम हिस्सा होता है। इसलिए यह बात बहुत अहम हो जाती है कि हमारी नई पीढ़ी सकारात्मक सोच की है या नकारात्मक की। यह कहना है कारी अशरफ का। जो गुुजरी बाजार स्थिति मदरसे में आयोजित एक जलसे को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नई नस्ल को इगर वक्त के रहनुमाओं और उनके बुजुर्गों की तरफ से सकारात्मक सोच मिलती है तो वह तरक्की, मेहनत और हौसलामंदी के साथ आगे बढ़ने का रास्ता अपनाते हैं। इंसानी मुआशरा कुछ इस तरह का होता है कि इंसान को किसी की तरफ से शिकायत न हो या वह यह महसूस न करे के उसकी बेइज्जती हो रही है। कारी अशरफ ने कहा कि यह सब कुछ तो इस जिंदगी में होना ही है। अब जो लोग छोटी सोच वाले होते हैं, वह अपने दिमाग में सिर्फ उन्हीं बातों को सवार करके खुद अपनी जिंदगी के लिए एक बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा कर देते हैं और जिंदगी के सारे बड़े-बड़े काम और तरक्की के जिन रास्तों पर चल सकता था वह सब छोड़ देता है और कुछ नौजवान इससे भी बढ़कर अपने आसपास उन लोगों से भी आगे निकल जाते हैं जो अपनी मेहनत लगन और खूबियों की वजह से कोई मुकाम हासिल करते हैं।
मुस्लिम नौजवानों से मुल्क को बहुत उम्मीद
इस ऐतबार से हम मुस्लिम नौजवान तबक पर नजर डालते हैं, तो हमें बहुत ही उम्मीद सूरत-ए-हाल नजर आती है, लेकिन यह भी सही है कि तंग नजर व कच्चे दिमाग के नौजवान भटकावे का भी शिकार हो जाते हैं। पहले वह अपने घर के लिए मुसीबत बनते हैं फिर वह समाज के लिए उलझन का सबब बन जाते हैं। उनमें से कुछ युवक समाज के लिए भी शिकायतों का सबब बन जाते हैं।
अच्छी सोच के लोग अपना रहे अच्छी तालीम
उन्होंने कहा कि अब जो लोग अच्छी सोच के हैं, उनमें एक बड़ा तबका ऐसा जरूर है जो इस्लाम की अच्छी तालिमात को अपना रहा है। मग रवह सख्त तंग नजरिये का शिकार भी हो रहा है। इस्लाम की हकीकी रूह उसकी बुलंद और आला तालिमात को समझने से कासिर है। मदारिस में पढ़ने वालों को मदरसों में भी यहीं माहौल मिल रहा है। मजहबी तहरीकों में शरीक होने वालों को भी इसी सोच का शिकार होना पड़ रहा है, जबकि हम इस्लाम की चंद बुनियादी तालिमात पर नजर डालें तो हमारी नई नस्ल को उसी एतबार से ढाले तो हमारा यह नौजवान तबका अपने मुआशरे में ही नहीं बल्कि पूरे मुल्क के लिए आदर्श बन सकता है।
जिनसे दुश्मनी है उसके बीच दोस्ती पैदा करो
कुरान के 28 वे पारे में है कि हो सकता है कि अल्लाह तुम्हारे दरमियान और जिनसे तुम्हारी दुश्मनी है उनके बीच मोहब्बत और दोस्ती पैदा कर दे। इसके बाद वाली आयत में कि अल्लाह तआला गैर मुसलमान लोगों से जिनसे दीन के मामले में तुम्हारी जंग नहीं हुई उनके साथ नेकी करो और इंसाफ करों। यह इतिहास में मिसाल है कि हमारे मुल्क की ओर कोई मुस्लिम मुल्क भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे तो कुरान पर इमान का तकाजा यह होगा कि कोई भी मुसलमान उसकी हिमायत और उस मुल्क से हमदर्दी न रखे।
Published on:
21 Oct 2018 02:35 pm
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