कहते हैं कि समय बड़े से बड़ा घाव भर देता है। अब वह समय आया कैराना के उपचुनाव लेकर। जिसमें रालोद प्रत्याशी को जीत हासिल हुई तो कैराना रालोद के लिए संजीवनी बूटी बन गया। उसी जीत से उत्साहित रालोद सुप्रीमों अजित सिंह ने पश्चिम में नए सिरे से अपनी राजनीति बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
दोनों पक्षों में समझौते की मुहिम चलाई मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों में चल रहे मुकदमों में दोनों पक्षों में आम सहमति से समझौते कराने के लिए राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह मुहिम चलाई है। जिसके तहत अजित सिंह ने हाल ही में दंगा समझौता समिति के लोगों के साथ दिल्ली में एक बैठक की थी। बैठक में अजित सिंह ने दोनों पक्षों को एक-दूसरे के लिए मन में पनपी खटास को दूर कर दिल से एक दूसरे से मिलने के लिए आगे बढ़ने की अपील की थी। आजित सिंह की इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए कोशिश करने का वादा एक दूसरे ने किया।
2013 से पहले वाला माहौल चाहते हैं अजित सूत्रों के अनुसार अजित से मिलने गए समझौता समिति के लोगों से उन्होंने कहा कि वे वेस्ट यूपी का 2013 से पहले वाला माहौल देखना चाहते हैं। इसी से पश्चिक के किसानों और यहां के आम लोगों की भलाई है। इसी बीच यूपी सरकार की तरफ से दंगे के दौरान दर्ज मुकदमें वापसी की कोशिश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। दरअसल, मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान दोनों पक्षों के खिलाफ काफी मुकदमे दर्ज हुए थे।
मुलायम ने की थी मुकदमें वापसी की पहल पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मुजफ्फरनगर दंगे के बाद दर्ज हुए मुकदमें वापसी की पहल की थी। मुलायम सिंह ने भी इन दोनों पक्षों को दिल्ली स्थित अपने आवास में बुलाया था। जहां समझौते की कोशिश करने पर आम सहमति बन गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिहं के बाद के यहीं कोशिश रालोद अध्यक्ष अजित सिंह ने की है।
दंगा प्रभावित गांवों में चल रही सदभावना मुहिम कैराना उपचुनाव के दौरान ही रालोद ने बडे़ पैमाने पर मुजफ्फरनगर और शामली में दंगा प्रभावित गांवों में सदभावना मुहिम शुरू की है। जिसके तहत समझौते कर दिलों की दूरी कम करने की अपील की जा रही है। इस मुहिम के सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इस मुहिम में शामिल रालोद के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व प्रदेश के पूर्व सिचाई मंत्री डा. मैराजुद्दीन ने बताया कि लोगों के बीच नफरत की दीवार राजनैतिक दल ने खड़ी की। हम तो अपनी इस मुहिम के जरिए उस दीवार को गिराने का काम कर रहे हैं। जिसमें हम कामयाब हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि दंगा प्रभावित इलाकों में अपने आप ही सदभावना की बयार चल रही है। लेकिन इसके बीच पनपी नफरत की दीवार को गिराये कौन। रालोद ने इसकी पहल की है। रालोद इसमें कामायाब भी हुआ है। उन्होंने बताया कि रालोद ने एक एक दंगा समझौता समिति बनाई थी। रालोद प्रमुख अजित सिंह ने इस दंगा समझौता समिति के सदस्यों से दिल्ली में मुलाकात की। मुजफ्फरनगर दंगों के चलते टूटे आपसी भाईचारे को कायम करने और आपसी सहयोग से मुकदमे समाप्त कराने पर चर्चा की।
सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका इस बीच जिला शामली निवासी इमरान ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है कि यूपी सरकार दंगे के दौरान कुछ असरदार लोगों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमें वापस लेनी की कोशिश कर रही हैं। कहा गया है कि ऐसे 131 मुकदमें हैं। जिसमें मांग की गई है कि मुजफ्फरनगर दंगे से संबंधित मुकदमों की सुनवाई यूपी से बाहर दिल्ली या अन्य किसी प्रदेश में हो।
भाजपा ने अपने लोगों के ऊपर से मुकदमा हटाने की शुरूआत की डा0 मैराजुद्दीन ने कहा कि भाजपा वह दल है जिसको दंगे से लाभ मिलता है। वह नहीं चाहती कि पश्चिम उप्र में अमन कायम हो। इसलिए उसने सदभावना पैदा करने की कोई पहल नहीं की। भाजपा ने तो अपने लोगों जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, यूपी सरकार में मौजूदा मंत्री सुरेश राणा, बिजनौर सांसद भारतेंदु कुमार, विधायक उमेश मलिक, साध्वी प्राची आदि के ऊपर से मुकदमा वापस लेने की गुपचुप तरीके से शुरूआत की है। मुकदमे वापस लेने के लिए सरकार की तरफ से जिला प्रशासन से काफी दिन पहले रिपोर्ट मांगी गई थी।