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लोकदल के मुखिया अजित सिंह नहीं लड़ेंगे 2019 लोकसभा चुनाव, ये बताई वजह

locationमेरठPublished: Jul 24, 2018 04:22:09 pm

Submitted by:

Iftekhar

रालोद मुख्या अजित सिंह ने अपने बयान से सब को चौंकाया

Ajit singh meeting

लोकदल के मुखिया अजित सिंह नहीं लड़ेंगे 2019 लोकसभा चुनाव, ये बताई वजह

बागपत. आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए बागपत पहुंचे लोकदल के मुखिया अजित सिंह ने यहां अपने ऐलान से सभी को चौंका दिया। रालोद मुखिया अजित सिंह ने ऐलान किया कि वह 2019 में लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस मौके पर अजीत सिंह ने भाजपा और केन्द्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। हाल ही में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद में राहुल गाँधी द्वारा पीएम से गले मिलने पर उन्होंने कहा कि राहुल की झप्पी का पीएम नरेंद्र मोदी जवाब नहीं दे पाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संसद में हुई डिबेट के बाद लोगों ने मान लिया है कि अब मोदी की हार तय है। महागठबंधन पर बोलते हुए आरएलडी मुखिया अजित सिंह ने कहा कि महागठबंधन में चुनाव लड़ना हर पार्टी की मजबूरी। उन्होंने कहा कि इस वक्त जो कोई पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी वह समाप्त हो जाएगी।2019 लोकसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं की समीक्षा बैठक लेने पहुंचे थे चौधरी अजित सिंह सिंह ने 2019लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर सभी चौंका दिया। उन्होंने उम्र का हवाला देते हुए कहा कि 80 साल उम्र हो गई है। लिहाजा, अब चुनाव नहीं लड़ूंगा।

दरअसल, लोक सभा चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही प्रदेश में सियासत गरमाने लगी है। अपनी पुस्तैनी सियासी जमीन खो चुके राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह मंगलवार को बागपत पहुंचे। वे यहां दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर पहुंचे। बताया जाता है कि अजीत सिंह के दौरे का मुख्य उद्देश्य हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को फिर से पुनर्जीवित करना है। बागपत अजित सिंह की लोक सभा सीट रही है। वे इसी क्षेत्र से बार-बार जीतते रहे हैं। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी में वे अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे। दरअसल, 2013 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जाट और मुस्लिों के बीच हुई सांप्रदायिक हिंसा की वजह से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण ने हिंदू और मुस्लिों के वोट को पूरी तरह से बंट गया था। जिसका फायदा भाजपा को हुआ और इसकी कीमत चौधरी अजित सिंह को चुकानी पड़ी। यही वजह है कि चौधरी अजित सिंह अब हिन्दू-मुस्लिमों के बीच की खाई को बांटने में जुट गए हैं।

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बागपत के पीडब्लूडी गेस्ट हाउस में अजित सिंह ने कार्यकर्ता के साथ बैठक की। बताया जाता है कि इस दौरान बैठक में चुनावी रणनीति पर चर्चा की गई। लेकिन इस बैठक में चुनिंदा कार्यकर्ताओं को ही चौधरी अजित सिंह से मिलने इजाजत दी गई। बैठक के दौरान आरएलडी के कोई भी बड़े नेता नहीं पहुंचे। माना जा रहा है कि यह बैठक अजित सिंह सीधे ही कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए कर रहे हैं, ताकि आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जमीनी स्तर पर कार्य योजना तैयार की जा सके। यही वजह है कि बड़े नेताओं से मिलने के बजाय अजित सिंह सीधे कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे हैं। दरअसल, यह बताया जा रहा है कि अजित सिंह चाहते हैं कि धरातल पर होने वाली किसी भी परेशानी को समय से पहले दूर किया जा सके। इसके लिए बैठक में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश को निषेध किया गया है। बैठक के दौरान पहुंचे मीडियाकर्मियों को भी इस बैठक से दूर रखा गया। हालांकि ,गेस्ट हाउस के अंदर और बाहर काफी भीड़ मौजूद रही। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि चौधरी अजित सिंह 2019 चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है।


हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश लेकर निकले अजीत सिंह के कुछ कार्यकर्ताओं की हरकत ने यहां कुछ मुस्लिम समर्थकों को नाराज कर दिया। अजीत सिंह जब बागपत के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में पहुंचकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। इस दौरान मुस्लिम समाज के एक अध्यक्ष ने उनसे मिलने का प्रयास किया, लेकिन बीच रास्ते में ही आरएलडी के कुछ स्थानीय नेताओं ने उनको अंदर जाने से रोक दिया, जिससे मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग भड़क गए। इसके बाद काफी देर तक वहां हंगामा चलता रहा। भीड़ की आवाज सुनकर अजित सिंह स्वयं मौके पर पहुंचे और उनको शांत कराया, लेकिन अपने नेता के साथ हुई बदसलूकी की वजह से मुस्लिम कार्यकर्ता नाराज हो गए और आरएलडी विरोधी नारे लगाकर वहां से जाने लगे। इसके बाद अजीत सिंह ने खुद उनको मनाया, तब जाकर मुस्लिम कार्यकर्ता शांत हुए। अब देखने वाली बात यह होगी कि हिंदू-मुस्लिम एकता के नारे के साथ 2019 का चुनाव जीतने का दावा करने वाली आरएलडी हिंदू-मुस्लिम भाईचारा कहां तक स्थापित कर पाती है।

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