अभ्यर्थी से तीन से पांच लाख रुपये तक लेता था गिरोह
मेरठ। मेरठ एसटीएफ ने सेना में भर्ती के नाम पर गिरोह चलाने वाले लोगों का भंड़ा फोड़ किया है। गिरोह का संचालन सेना का ही एक रिटायर्ड लांस नायक कर रहा था। वह सेना में भर्ती कराने की पूरी जिम्मेदारी लेता था। जिसके एवज में तीन से पांच लाख रूपये तक वसूले जाते थे। मेरठ एसटीएफ ने आर्मी इंटेलीजेंस के इनपुट पर इस गिरोह को पकड़ा है। गिरोह के तीन लोग एसटीएफ के हत्थे चढ़े हैं। इनमें गिरोह का सरगना रिटायर्ड लांस नायक भी शामिल है। सीओ एसटीएफ बृजेश कुमार के मुताबिक गिरोह पिछले कई वर्षों से सेना में भर्ती कराने के नाम पर धांधली का गोरखधंधा चला रहा था। जिस समय सेना में भर्ती चलती थी, उस दौरान गिरोह के लोग आसपास के क्षेत्र में फैल जाते थे और शिकार को तलाश करते थे। गिरोह एक भर्ती के लिए तीन से पांच लाख रुपये तक वसूल लेता था।
लेता था मेडिकल कराने तक का ठेका
गिरोह अभ्यार्थी से मेडिकल में पास कराने तक का ठेका लिया करता था। सेना भर्ती की सबसे आखिरी प्रक्रिया मेडिकल होती है। जिसमें अधिक अभ्यार्थी फेल हो जाते हैं। इसलिए गिरोह मेडिकल कराने तक की जिम्मेदारी लेता था। पकड़े गए तीनों आरोपियों से आर्मी इंटेलीजेंस थाना कंकरखेड़ा में पूछताछ कर रही है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें आशीष निवासी कंकरखेड़ा सैनिक विहार है। जो कि एक कोचिंग सेंटर में अध्यापक है। यह वन-डे एग्जाम और रीजनिंग की तैयारी कराता है। दूसरा व्यक्ति वीर बहादुर सिंहद निवासी तुलसी कॉलोनी कंकरखेड़ा है। वीर बहादुर सिंह सेना का रिटायर्ड लांस नायक है। पूछताछ में पता चला है कि उसकी सेना में अधिकारियों से जान पहचान है। तीसरा व्यक्ति है विक्टर राघव अजंता कॉलोनी थाना मेडिकल। विक्टर राघव के अलावा उसका पिता अजब सिंह भी सेना भर्ती में धांधली के गिरोह का सदस्य है।
सेना के अधिकारी भी हो सकते हैं शामिल
पूछताछ में जो बात सामने आ रही है उससे संकेत मिल रहे हैं कि इसमें सेना के भी अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। जिससे एक बड़े नेटवर्क का खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसी संबंध में आर्मी इंटेलीजेंस द्वारा आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
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