
अब एक मात्र टीके से खत्म हो जाएगी ये खतरनाक बीमारी, बच्चे-बूढ़े सबको मिलेगा लाभ
मेरठ. छोटी चेचक जिसको हिन्दू समाज में छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन वास्तव में वह एक प्रकार का वायरस संक्रमन है। इससे पीड़ित बच्चों की समय पर दवा न की जाए तो लापरवाही के कारण इससे संक्रमित बच्चे की जान पर भी बन आती है। अंग्रेजी में इसे रुबेला (rubella) कहा जाता है। प्रत्येक देश में यह अगल-अलग नामों से प्रचलित है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. विश्वास चैधरी ने बताया कि दुनियाभर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य देशों में वर्ष 2012 में लगभग दस लाख रुबेला (rubella cases) के मामले सामने आए। हालांकि वास्तविक मामले इससे कहीं अधिक होने की संभावना है। लेकिन अब जल्द ही इस बीमारी का प्रकोप पोलियों की तरह देश से समाप्त हो सकता है। दरअसल, सरकार इस बीमारी को देश और प्रदेश से समाप्त करने के लिए टीकाकरण (rubella vaccination) अभियान शुरू करने जा रही है। गौरतलब है कि रुबेला का टीका (rubella vaccine) एक सक्रिय दुर्बलीकृत रुबेला वायरस (rubella virus) पर आधारित है। इसका प्रयोग 40 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है, लेकिन अपने देश और प्रदेश में इसको अब सरकारी अस्पतालों में लगाना शुरू किया गया है। अभियान के तहत रूबेला का टीका अब सभी के लिए अनिवार्य होगा। इसे टीकाकरण अभियान (rubella vaccine schedule) में शामिल किया जा चुका है।
ये होता है रुबेला (rubella infection) संक्रमण के लक्षण
डॉ. विश्वास के अनुसार रुबेला से पीड़ित व्यक्ति को हल्का से लेकर तेज बुखार, मिचली और प्रमुख रूप से गुलाबी या लाल चकत्तों के निशान शरीर पर पड़ जाते हैं। लाल चकत्ते प्रायः चेहरे पर निकलते हैं और शरीर में नीचे की ओर फैलते चले जाते हैं। यह तीन दिन तक तेजी से बढ़ता है। वायरस के संपर्क में आने के 2-3 दिनों के बाद चकत्ते निकलते हैं। यहीं सर्वाधिक संक्रामक की अवधि होती है। ये चकत्ते पांच दिन तक रहते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। रुबेला गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए खतरनाक होता है।
ऐसे फैलता है वायरस (rubella virus)
डॉ. विश्वास के अनुसार रुबेला वायरस वायुजनित श्वसन के छींटों द्वारा फैलता है। संक्रमित व्यक्ति रुबेला के चकत्तों के निकलने के एक हफ्ते पहले भी और इसके पहली बार चकत्ते निकलने के एक हफ्ते बाद तक संक्रामक हो सकते हैं। यह नवजात बच्चे या एक वर्ष से अधिक समय तक दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।
इस मौसम में करता है असर (Effe rubella rubella virus)
रुबेला के मामले जाड़े के अंत में या बसंत के शुरुआत में सर्वाधिक असर दिखाते हैं। इस दौरान रुबेला का वायरस अधिक संक्रमित होकर वायुमंडल में फैलता है। यह फरवरी से अप्रैल तक पूरी तरह से सक्रिय होता है।
उपचार और देखभाल (Treatment of rubella virus)
रुबेला का कोई प्रत्यक्ष इलाज नहीं है। बुखार कम करने के प्रयास के साथ-साथ सिर्फ देखभाल ही इसका उपचार है। यह अपने आप पांच दिन के बाद ठीक होने लगता है। रुबेला प्रायः बच्चों में एक गंभीर रोग है। इसके लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं। रुबेला बच्चों की अपेक्षा बड़ों में अधिक होती हैं और इसमें अर्थराइटिस, एंसेफेलाइटिस और न्युराइटिस शामिल हैं।
रोग का प्रमुख खतरा है कन्जेनिटल रुबेला सिंड्रोम
किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान रुबेला संक्रमण होने पर, यह संक्रमण विकसित हो रहे भूण तक पहुंच सकता है। ऐसी गर्भावस्थाओं को सहज गर्भपात या अपरिपक्व जन्म का जोखिम होता है।
Published on:
18 Oct 2018 04:49 pm
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
