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कांवड़ यात्रा 2018: कावंड़ लाने में इन नियमों का रखें ख्याल, इनमें हुर्इ चूक तो नहीं मिल पाएगा इस तप का लाभ

Kanwar Yatra in Sawan 2018 : नौ अगस्त को है सावन शिवरात्रि, इस बार लाखों लोग ला रहे हैं कांवड़

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meerut

कांवड़ यात्रा 2018: कावंड़ लाने में इन नियमों का रखें ख्याल, इनमें हुर्इ चूक तो प्रसन्न नहीं होंगे भगवान शिव

मेरठ। कांवड़ लेने के लिए भोलेभक्त हरिद्वार जाते हैं और वहां से कांवड़ में गंगाजल लाकर शिवालयाें में जलाभिषेक करते हैं। पंडित कमलेश्वर के अनुसार कांवड़ को उठाने के बाद सनातनी नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी होता है। बिना नियम पालन के कांवड़ खंड़ित मानी जाती है। कांवड़ लाने के नियम बड़े कठोर होते हैं। इन नियमों का पालन न करने से भोलेनाथ कोध्रित हो जाते हैं। सावन महीने में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ लानाा बेहद शुभकारी माना जाता है, क्योंकि सावन में भगवान शंकर के जलाभिषेक का भी विशेष महत्व है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कांवड़ यात्रा का महत्व यह भी है कि यह हमारे व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है। लंबी कांवड़ यात्रा से हमारे मन में संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास जागता है। हम अपनी क्षमताओं को पहचान सकते हैं, अपनी शक्ति का अनुमान भी लगा सकते हैं। यही वजह है कि सावन में लाखों श्रद्धालु कांवड़ में पवित्र जल लेकर एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान जाकर शिवलिंगों पर उस पवित्र जल से जलाभिषेक करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब सारे देवता सावन में शयन करते हैं तो भोलेनाथ का अपने भक्तों के प्रति वात्सल्य जागृत हो जाता है। इस साल नौ अगस्त को सावन शिवरात्रि है।

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कांवड़ उठाने के बाद इन कामों से बरते सावधानियां

पंडित कमलेश्वर ने बताया कि भोलेभक्त को कांवड़ लाने के दौरान लिए किसी भी प्रकार का नशा वर्जित है। इस दौरान तामसी भोजन यानी मांस, मदिरा आदि का सेवन भी नहीं किया जाता। इसके अलावा प्याज, लहसुन का त्याग करेें, आैर बिना स्नान किए अपनी कांवड़ को हाथ न लगाएं। कांवड़ यात्रा के दौरान तेल, साबुन, कंघी करने व अन्य श्रृंगार सामग्री का उपयोग वर्जित है। कांवड़ यात्रियों के लिए चारपाई पर बैठना एवं किसी भी वाहन पर चढ़ना मना है। चमड़े से बनी वस्तु का स्पर्श भी कावंड़ यात्रियों के लिए वर्जित है। रास्ते में किसी वृक्ष या पौधे के नीचे कांवड़ रखना वर्जित है। इससे कांवड़ खंडित मानी जाती है। कांवड़ यात्रा में बोल बम एवं जय शिव-शंकर घोष का उच्चारण करने के साथ 'ऊं नमः शिवाय' का जाप करना चाहिए। कांवड़ को सिर के ऊपर से लेने तथा जहां कांवड़ रखी हो उसके आगे बगैर कांवड़ के नहीं जाने के नियम का पालन जरूरी है। इस तरह कठिन नियमों का पालन कर कांवड़ यात्री अपनी यात्रा पूरी करते हैं। इन नियमों का पालन करने से मन में संकल्प शक्ति का जन्म होता है।

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