
Sanjeev Jeeva Murder: नब्बे के दशक में यूपी में पूरब से लेकर पश्चिम तक गैंगवार पूरे चरम पर था। एके 47 राइफलों से सड़कों पर गैंगवार में खून बहाया जाता था। उसी दौरान पश्चिम यूपी से एक नया नाम अपराध की दुनिया में सुर्खियों में आया। ये नाम कोई और नहीं बल्कि संजीव जीवा उर्फ संजीव महेश्वरी का था। जिसने एक बार अपराध की दुनिया में कदम रखा तो पीछे मुडकर नहीं देखा।
एके 47 का शौकीन संजीव जीवा का निशाना इतना सटीक था कि वह जल्द ही मुन्ना बजरंगी के जरिए माफिया मुख्तार के संपर्क में आ गया। पूरब में ब्रहमदत्त द्विवेदी और कृष्णानंद राय की सरेआम हत्या के बाद संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा ने पूर्वांचल में होने वाली गैंगवार के समीकरण ही बदल दिए थे।
पश्चिम में सुशील मूंछ के वर्चस्व को खत्म करने को सुनील राठी से हाथ मिलाया
पश्चिम यूपी में कुख्यात अपराधी सुशील मूंछ के बढ़ते वर्चस्व को खत्म करने के लिए सुनील राठी, मुन्ना बजरंगी और संजीव जीवा ने हाथ मिलाया था। जिसका असर पूर्वांचल के अपराध जगत तक दिखाई पड़ने लगा था। यूं कहें कि जीवा पश्चिमी उप्र के अपराध जगत का 'मुख्तार' बन चुका था। जीवा के आतंक से सुशील मूंछ भूमिगत हो गया था।
तीन साल में मुख्तार गैंग का अहम हिस्सा बना जीवा
पूर्वांचल में 2002 से 2005 के बीच मुख्तार अंसारी गैंग ने पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और उनके 15 करीबियों को ठिकाने लगाया।
इसमें संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की अहम भूमिका रही। पुलिस सूत्रों के मुताबिक कृष्णानंद राय को मारने के लिए जीवा एके-47 लेकर मौके पर था। इस हत्याकांड के बाद उसे मुख्तार का दाहिना हाथ माना जाने लगा।
मुख्तार की शह पर उसने सुशील मूंछ से अपना हिसाब चुकाना शुरू कर दिया। इससे पश्चिमी उप्र में सुशील मूंछ से जुड़े तमाम अपराधी बृजेश सिंह गिरोह के करीब आने लगे।
पुलिस अधिकारियों की मानें तो बीते कुछ दिनों से जीवा पंजाब के कुख्यात अपराधी लारेंस बिश्नोई से भी अदावत मानने लगा था। इसकी वजह मुख्तार के विरोधी गुट से लारेंस बिश्नाेई गैंग की बढ़ती करीबी और पश्चिमी उप्र के टेंडर, वसूली के कारोबार में बढ़ता दखल था।
Published on:
09 Jun 2023 04:12 pm
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