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विदेश से आयी थी बच्चाें को अंग्रेजी सिखाने, अब लौट रही इनसे हिंदी सीखकर

एक माह तक छात्रों के बीच रही गुरुकुल में रही विदेशी शिक्षिकिाएं  

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meerut

विदेश से आयी थी बच्चाें को अंग्रेजी सिखाने, अब लौट रही हैं इनसे हिंदी सीखकर

मेरठ। परीक्षितगढ़ क्षेत्र के ग्राम नारंगपुर स्थित आर्य कन्या गुरुकुल में एक माह तक शिक्षा देने के बाद दो विदेशी शिक्षिकाएं वापस चली गयी। उनके जाने के दौरान गुरुकुल का माहौल गमगीन हो गया। गुरुकुल नारंगपुर में शिक्षा व संस्कार से ओतप्रेात होकर स्काटलैंड से पोला एकयोल व मस्कट ओमान से आई तान्या सांवत एक माह के लिए गुरुकुल में अंग्रेजी की शिक्षा देने के लिए आई थी, लेकिन इस एक माह में गुरूकुल के बच्चों से इन दोनों ने हिन्दी सीख ली और फर्राटेदार हिन्दी बोलने भी लगी। एक माह के बाद जब उनकी विदाई का समय आया तो जाते समय दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे।

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भारतीय संस्कृति में रम गई

दोनों रोटरी क्लब के माध्यम से यहां अंग्रेजी सिखाने आयी थी, मगर खुद भारतीय संस्कृति में रम गयी। सुबह उठकर हवन यज्ञ के साथ प्रार्थना करना, उनकी दिनचर्या में शामिल था। इसके बाद बच्चों को शिक्षा के बाद खेलकूद में खुद बच्ची बनकर भाग लेती थी। गुरुकुल की संचालिका रश्मि आर्य व गुलशन सैफी को अपनी बहन मानने लगी थी। बच्चों को जहां अंग्रेजी सिखायी वही एक माह में खुद दोनों ने गायत्री मंत्र के साथ-साथ जरूरी बोलने वाली हिन्दी भी सीख ली थी।

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दिसंबर में आने का किया वादा

पोला एकयोल व तान्या सांवत ने बताया कि भारतीय संस्कृति विश्व में सबसे ऊपर है, इसमें जो संस्कार है वह दुनिया की दूसरी संस्कृति में कही नहीं है। वे अब जा रही है, मगर दिसबंर में अपने परिवारों के साथ यहां दोबारा आएंगी।

गुरुकुल का माहौल उदास

उनके जाने से पूर्व गुरुकुल में हवन के साथ-साथ उनका विदाई समारोह आयोजित किया गया। उनके जाने के बाद गुरुकुल का माहौल उनके जाने से एकदम उदास था।