
मेरठ। 13 अक्टूबर (October) को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2019) काफी खास मानी जा रही है। इस शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) में लगने वाले योग पूरे दो शताब्दी बाद लग रहे हैं। यानी 209 वर्ष बाद। पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि में ही अमृतमयी शुभ वर्षा करने वाली किरणें पृथ्वी पर उतरती हैं और इस बार शरद पूर्णिमा पर मध्य रात्रि में चंद्रमा सहित ग्रहों की स्थिति अत्यन्त शुभ योग (Shubh Yog) को सक्रिय कर रही है।
ये शुभकारी योग बन रहे
पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार इस समय चंद्रमा की ही कर्क राशि लग्न राशि है और चंद्रमा स्वयं भाग्य स्थान पर गुरू की मीन राशि पर मूल त्रिकोण में विराजे होंगे तथा उधर भाग्य के स्वामी गुरू मूल त्रिकोण के पंचम भाव मित्र वृश्चिक राशि में विराजे होंगे, जो कि गजकेसरी जैसा शुभ संयुक्त प्रभाव काल कुंडली में दे ही रहे हैं, साथ ही सूर्य व मंगल का पराक्रम भाव में अत्यन्त ऊर्जा प्रदान कर रहा है। ऊर्जा का स्वामी बुध स्वराशि के शुक्र के साथ सुख संपत्ति के भाव में स्वाति नक्षत्र में युति बनाए हुए केंद्र में गणेश लक्ष्मी योग बनाए हुए हैं। अपनी उच्च राशि के राहु व उच्च राशि के केतु मित्र शनि के साथ पूर्वा षाढ़ा नक्षत्र में युति बनाकर अगला व पिछला दोनों जन्म सुधारने की स्थिति के योग बने हुए हैं। इसी प्रकार बुध-राहु-बुध का विंशोत्तरी संयोग हर प्रकार की नकरात्मक ऊर्जाओं को समाप्त कर ज्ञानमय होकर मनोबल व मन की खुशियों को बढ़ाते चले जाने के भी योग बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे दुर्लभ योग 209 वर्ष बाद शरद पूर्णिमा पर बन रहे हैं जो आध्यात्मिक व भौतिक दोनों प्रकार की उन्नति के लिए विशेष हैं।
मंत्रों के जाप के साथ ऐसे करें पूजा
इस शरद पूर्णिमा की रात्रि रविवार को लगभग 11.30 से 12.30 तक ऊं सोम सोमाय नम:, ऊं गुरवे नम:, ऊं इंद्राय नम:, ऊं श्री महालक्ष्म्यै नम: के मंत्र जाप के अन्त में जो ही-पे-चा शब्दों का उच्चारण आकाश की ओर मुख करके करेगा। उसका कुल व्यक्तित्व विकास, यश, मान-प्रतिष्ठा, भाग्य वृद्धि, शिक्षा व सन्तान सुख तथा मनोबल के साथ ही मन की खुशियां उच्च शिखर पर पहुंचने के योग बन सकेंगे।
Updated on:
13 Oct 2019 10:19 am
Published on:
13 Oct 2019 10:05 am
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