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शिवपाल यादव ने महागठबंधन की हवा इस तरह निकालनी शुरू की, उनकी पार्टी में शामिल हो रहे ये दिग्गज नेता

लोक सभा चुनाव 2019 की तैयारी के लिए शिवपाल यादव ने छेड़ा अभियान

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शिवपाल यादव ने महागठबंधन की हवा इस तरह निकालनी शुरू की, उनके साथ आ सकते हैं ये दिग्गज नेता

केपी त्रिपाठी, मेरठ। सपा के दिग्गज नेता शिवपाल यादव के अपनी दूसरी पार्टी बनाए जाने का ऐलान करने के बाद पश्चिम उप्र की राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा। जिस महागठबंधन के बनने से भाजपा बौखलाई हुई थी और महागठबंधन ने हाल में ही हुए उपचुनाव में उसे धूल चटाई थी। इससे सरकार और भाजपा पदाधिकारियों की सांसें अटकी हुई थी, लेकिन शिवपाल यादव के नई पार्टी बनाने के ऐलान से भाजपा को राजनैतिक राहत की सांस मिली है। शिवपाल यादव के इस पैंतरे से सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस के महागठबंधन की हवा निकल गई है। शिवपाल यादव महागठबंधन में सेंधमारी कर कुछ दलों को अपनी ओर खींच सकते हैं।

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भाजपा के वरिष्ठ नेताआें ने दी यह सलाह

भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की मानें तो शिवपाल सिंह यादव को बहुत पहले ही पार्टी छोड़ देनी चाहिए थी। जिस पार्टी या दल में बड़ों की इज्जत न हो वहां पर रहने का कोई लाभ नहीं है। वैसे भी समाजवादी पार्टी अखिलेश एंड पार्टी हो गई थी। जहां पर देश और प्रदेश हितों की बातें कम और निजी हित की बातें अधिक होने लगी हैं। भाजपा प्रवक्ता आलोक सिसौदिया भी कहते हैं कि शिवपाल यादव, अखिलेश की महागठबंधन की नीति से खुश नहीं थे। शिवपाल कहीं न कहीं इस बात से नाराज थे कि महागठबंधन में बसपा को शामिल किया जा रहा है। शिवपाल यादव बसपा सुप्रीमो मायावती को महागठबंधन में शामिल करने के खिलाफ थे।

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शिवपाल के संपर्क में है पश्चिम के दिग्गज नेता

शिवपाल सिंह यादव के संपर्क में पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई सपाई दिग्गज हैं। वे शिवपाल के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। मेरठ के एक पूर्व विधायक और दर्जा प्राप्त मंत्री शिवपाल के संपर्क में बराबर हैं। वहीं बसपा के कुछ बागी नेता भी शिवपाल के साथ आ सकते हैं। जिन्हें मायावती ने बेइज्जत कर निकाला था।प्रदेश की विपक्ष राजनीति में हो सकता है बड़ा उलटफेर सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव के इस राजनैतिक पैंतरे से प्रदेश की विपक्ष की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है। बताया जा रहा है कि छोटे दलों को एक करके शिवपाल अलग मोर्चा बना सकते हैं। इसके साथ ही बसपा से त्यागपत्र देकर बाहर आए पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी शिवपाल के साथ कंधे से कंधा मिला सकते हैं। बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार में (बीजेपी) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने शिवपाल सिंह यादव से उनके आवास पर मुलाकात की थी। राजनीतिक दलों में इस मुलाकात को अमर सिंह के बयान से जोड़कर देखा जाने लगा है।

शिवपाल ने इसलिए तोड़ा संबंध

सूत्रों का यह भी कहना है कि शिवपाल को समाजवादी पार्टी से अलग करने की लगातार कोशिश की जा रही थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी शिवपाल और अखिलेश यादव की गुटबाजी उजागर हुई थी। शिवपाल यादव और ओम प्रकाश राजभर इससे पहले वाराणसी में जून महीने में मुलाकात कर चुके हैं। पश्चिम उप्र में भी टिकट बंटवारे के समय शिवपाल के समर्थकों के टिकट काटकर अखिलेश के समर्थकों को पार्टी ने टिकट दिया था। जिस पर शिवपाल समर्थकों ने बवाल भी किया था।